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श्रमण सूक्त
१५६ ॥
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नाइउच्चे व नीए वा
नासन्ने नाइदूरओ। फासुय परकडं पिण्ड पडिगाहेज्ज सजए।।
(उत्त १ ३४) ।
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सयमी मुनि प्रासुक और गृहस्थ के लिए बना हुआ आहार ले किन्तु अति ऊंचे या अति नीचे स्थान से लाया हुआ तथा अति समीप या अति दूर से दिया जाता हुआ आहार न ले।
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