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श्रमण सूक्त
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तहेव सुविणीयेप्पा
उववज्झा हया गया। दीसति सुहमेहता
इडिद् पत्ता महायसा।। तहेव सुविणीयप्पा ___ लोगसि नरनारिओ। दीसति सुहमेहता इड्डि पत्ता महासया।।
(दस ६ (२) ६. (6) जो औपवाह्य घोडे और हाथी सुविनीत होते हैं, वे ऋद्धि और महान् यश को पाकर सुख का अनुभव करते हुए देखे जाते है।
लोक मे जो पुरुष या स्त्री सुविनीत होते हैं, वे ऋद्धि और महान् यश को पाकर सुख का अनुभव करते हुए देखे जाते हैं।
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