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अरुणाचल
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अरुणाचल समस्त भारत के पवित्र स्थानो मे से सबसे प्राचीन और मबसे पवित्र स्थान है। श्रीभगवान् ने यह घोपणा की थी कि यह पृथ्वी का हृदय है, विश्व का आध्यात्मिक केन्द्र है। श्री शकर ने मेरु पवत के रूप में इसका वणन किया है । स्कन्द पुराण में इस प्रकार घोषणा की गयी है "यह पवित्र स्थान है । सव स्थानो मे अरुणाचल सर्वाधिक पवित्र है । यह विश्व का हृदय है । इसे शिव का गुप्त पवित्र हृदय केन्द्र जानो।" बहुत से सन्त वहां रहे है। अपनी पवित्रता को उन्होंने पहाडी की पवित्रता के साथ एकाकार कर दिया है। ऐसा कहा जाता है और श्रीभगवान् ने इसकी पुष्टि की है कि आज भी इसको कन्दराओ मे भौतिक शरीरो वाले या भौतिक देहरहित सिद्ध रहते हैं । कई लोगो का कहना है कि उन्होंने रात को प्रकाशमय पुरुपो के रूप में उन्हे पहाडी का चक्कर लगाते हुए देखा है। __पहाही के उद्भव के सम्बन्ध में एक पौराणिक गाथा है। एक बार विष्णु और ब्रह्मा में इस बात पर झगडा हो गया कि उन दोनो मे कौन बडा है । उनके अगहे से पृथ्वी पर अव्यवस्था पैदा हो गयी, इसलिए देवता शिव के पास गये और उनसे झगडा निपटाने की प्रार्थना की। इस पर शिव एक प्रकाश-रेखा के रूप में प्रकट हुए। इस प्रकाश-रेखा मे से एक ध्वनि निकली कि जो कोई इस प्रकाश-रेखा के ऊपरले या निचले सिरे का पता लगा लेगा वही वडा होगा। विष्णु ने सूअर का रूप धारण कर लिया और इसका आधार पता लगाने के लिए भूमि को खोदना शुरू किया। ब्रह्मा ने राजहस का रूप धारण कर लिया और प्रकाश-रेखा के शिखर का पता लगाने के लिए आकाश मे ऊंचा उहना शुरू किया। विष्णु प्रकाश-रेखा के आधार तक पहुंचने मे असफल हो गया परन्तु उसने अपने अन्दर घट-घटवासी परम प्रकाश के दर्शन किये, वह अपने भौतिक शरीर को सुध-बुध भूल गया और यह भी भूल गया कि वह किसी चीज की खोज में आया है, वह समाधिस्थ हो गया । ब्रह्मा ने एक पहाडी वृक्ष के फूल को आकाश मे गिरते हुए देखा और छल से विजय का विचार करते हुए वह इस फूल को लेकर वापस लौट पहा । उसने यह घोपणा की कि उसने यह फूल शिखर से तोडा है।
विष्णु ने अपनी असफलता स्वीकार की और भगवान की इन शब्दो मे स्तुति की, "आप मात्म-ज्ञान हैं । आप ओ३म् है । आप प्रत्येक वस्तु के आदि, मध्य और अन्त हैं । आप सब कुछ हैं और सबको प्रकाशित करते हैं।" विष्णु को महान् घोपित किया गया, ब्रह्मा लज्जित हुया और उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली।
इस पौराणिक गाथा मे विष्णु मह या व्यक्तित्व का, ब्रह्मा मनस्तत्व का
और शिव आत्मा का प्रतिनिधि है।