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तपस्या
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गुजारे, वे नरक-तुल्य थे, परन्तु ब्राह्मणस्वामी परमानन्द मे मग्न थे, उन पर इस पोहा का लेशमात्र भी प्रभाव नहीं पडा, यह उनके लिए सवथा अवास्तविक थी। एक श्रद्धालु महिला रतनाम्मल ने उन्हें भोजन पहुंचाने के लिए तहखाने में प्रवेश किया और उनसे प्रार्थना की कि वे वह स्थान छोडकर उसके घर आ जाएं, परन्तु इस विनती का उन पर कोई प्रभाव नहीं पडा, उन्होने इसे अनसुना कर दिया। वह एक साफ कपडा वहां छोड गयी और उसने उनसे प्रार्थना की कि वह उस पर बैठे या लेटें या उससे कीडो को हटाएं परन्तु उन्होने उस कपडे का स्पश तक नहीं किया। ___ उन शरारती लडको को अंधेरे तहखाने मे जाने से डर लगता था इसलिए वे इसके प्रवेश-द्वार पर पत्थर या टूटे-फूटे वर्तन फेंकते थे और ये उससे टकरा कर दूर जा पडते थे। शेपाद्रिस्वामी रक्षा के लिए सन्नद्ध हो गये परन्तु इससे केवल लडको को शरारत करने का और बढ़ावा मिला । एक दिन दोपहर को वेंकटाचल मुदाली नामक एक व्यक्ति सहस्र स्तम्भो वाले महाकक्ष मे आये और उन्हें लडको को मन्दिर के निकट पत्थर फेंकते हुए देखकर उन पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने एक छडी ली और लड़को को दूर भगा दिया। वापस आने पर उन्होंने शेषाद्रिस्वामी को महाकक्ष के अंधेरे तहखाने मे से बाहर निकलते हुए देखा। एक क्षण के लिए वह स्तम्भित हो गये, परन्तु जल्दी ही संभल गये और उहोंने शेपाद्रि से पूछा कि कहीं उन्हे चोट तो नहीं लगी। शेषाद्रि ने उत्तर दिया, "नहीं, परन्तु आप अन्दर जाइए और छोटे स्वामी की देखभाल कीजिए," और यह कहकर वे चले गये । ___ आश्चयचकित मुदाली ने तहखाने की सीढियो पर पैर रखे। प्रकाश से अँधेरे में पहुंचने पर पहले-पहल तो उन्हें कुछ दिखायी नही दिया परन्तु धीरेधीरे उनकी आँखें इसकी अभ्यस्त हो गयीं और उन्हें छोटे स्वामी दिखायी देने लगे । जो कुछ उन्होंने तहखाने मे देखा उससे मुदाली स्तब्ध रह गये और उन्होंने वाहर आकर एक साधु से, जो निकट ही फूलो के बगीचे में अपने फूछ शिष्यों के साथ काम कर रहा था, यह सब कथा कह सुनायी। वह भी देखने के लिए अन्दर आये। छोटे स्वामी न हिले, न कुछ वोले । उन्हें उन सव की उपस्थिति का भान ही नहीं हुआ। इसलिए उन लोगों ने उन्हें उठा लिया और उन्हें वाहर ले आये। उन्होंने उन को सुब्रह्मण्यम् के देवालय के सामने रख दिया, उस समय तक वह वेसुध थे।
श्रीभगवान् को तपोभूमि होने के कारण पाताललिङ्गम् का पुनरुद्धार किया गया है। अब इस स्थान को ठीक ढग से रखा जाता है। यहां बिजली की रोशनी का प्रबंध किया गया है और श्रीभगवान का एक चित्र रखा गया है।