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रमण महर्षि के जो भाव अकित हैं, उनसे चिन्तन के लिए शब्दो की अपेक्षा अधिक प्रेरणा मिलती है।
तख्त के चारो ओर, इससे कुछ फीट की दूरी पर लगभग १८ इच ऊंचा जगला है जिसे इधर-उधर हटाया जा सकता है । पहले इसके सम्बन्ध मे कुछ विवाद भी हुआ था । आश्रम के प्रबन्धको का ऐसा अनुभव था कि श्रीभगवान् सामान्यत चरण-स्पर्श किया जाना पसन्द नही करते । अगर कोई ऐसा करने की चेष्टा करता है तो वह पीछे हट जाते हैं। इसके अतिरिक्त एक बार एक मार्गभ्रष्ट भक्त ने श्रीभगवान् की उपस्थिति मे एक नारियल तोडा और वह इसका जल उनके सिर पर डाल कर उनका सम्मान करना चाहते थे। इसलिए आश्रम के प्रवन्धको ने जगला लगाने का निणय किया। दूसरी ओर अनेक भक्तो ने ऐसा अनुभव किया कि यह मक्तो और भगवान् के मध्य व्यवधान उपस्थित करना है। श्रीभगवान् के सम्मुख ही यह विवाद होने लगा कि क्या उन्होने इस बात की स्वीकृति दी है । परन्तु किसी को भी उनसे इसके निर्णय के लिए कहने का साहस न हुआ । भगवान् स्थिर भाव से बैठे रहे । ___कुछ भक्त अपने स्थानो से बिना उठे, भगवान् से अपने या अपने मित्रो के सम्बन्ध मे बातचीत करते हैं, अनुपस्थित भक्तो की उन्हे सूचना देते हैं और सैद्धान्तिक प्रश्न पूछते हैं। प्रत्येक को ऐसा अनुभव होता है जैसे वह एक विशाल परिवार का सदस्य हो । यदि किसी को उनसे व्यक्तिगत वात करनी है, वह उठ कर भगवान के तख्त के पास जाता है और धीमे-धीमे उनसे बात करता है या उन्हे कागज का वह पुर्जा देता है, जिस पर उसने कुछ लिख रखा है । शायद वह अपने प्रश्न का उत्तर चाहता है, या केवल भगवान् को सूचित करना चाहता है और उसे विश्वास है कि सव शुभ होगा। ____एक मां अपने छोटे बच्चे को भगवान् के पास ले आती है । वह इसे देखते ही मां की अपेक्षा अधिक कृपालु भाव से मुस्करा देते हैं । एक छोटी लडकी अपनी गुडिया लेकर आती है, इसे तख्त के सामने लिटा कर रख देती है और फिर भगवान् को दिखाती है, वह इसे हाथ मे ले लेते हैं और देखते हैं। एक वन्दर दरवाजे मे चुपके से आ जाता है और केला छीन ले जाने की कोशिश करता है । सेवक बन्दर का पीछा करता है, पर तु वहाँ एक सेवक होने के कारण, बन्दर दौड कर सभा भवन के दूसरे कोने पर पहुंच जाता है और फिर दूसरे दरवाजे से अन्दर आ जाता है। श्रीभगवान् धीमे से उससे कहते हैं "जल्दी करो, जल्दी करो । वह फिर वापस आ जायेगा।" एक गेरुआ वस्त्र धारी जटाधारी साघु जो शकल से असभ्य लगता है, हाथ ऊपर उठाये हुए तख्त के सामने खडा हुआ है। सूट धारी एक समृद्ध नागरिक श्रीभगवान् के सम्मुख सुन्दर ठग से दण्डवत् प्रणाम करता है और आगे बैठ जाता है।