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________________ मिस्टर मैनेजर, मैं तो सदा के लिए अपंग होकर इस व्हील चेयर में बैठ गया हूं। बहुत अच्छा, यह रहा दस हजार पाउंड का चैक, आप इससे क्या करने का इरादा रखते हैं? अच्छा, मिस्टर मैनेजर, मैं और मेरी पत्नी, हम दोनों हमेशा से भ्रमण करना चाहते थे इसलिए हम नाव के ऊपरी भाग से यात्रा आरंभ करेंगे और स्कैन्दिनेविया (प्रभाव डालने के लिए उसने अपनी अंगुली से नीचे संकेत किया) से गुजर कर, फिर स्विटजरलैंडइर? इटली, ग्रीस - और मुझे तुम्हारे एजेंट और जासूस जो कि मेरा पीछा कर रहे होंगे, की जरा भी फिकर नहीं है; मैं तो अपाहिज हुआ अपनी कुर्सी पर बैठा रहूंगा - तो स्वाभाविक है कि हम इजरायल जा रहे होंगे, फिर ईरान और भारत और इसे पार करते हुए उसने अंगुली से प्रभाव डालने के लिए संकेत किया) जापान और तब फिलीपाइंसऔर मैं तो अभी भी व्हील चेयर पर होऊंगा, इसलिए मुझे तुम्हारे जासूसों की जो अपने कैमरे लेकर मेरा पीछा कर रहे हैं, कोई चिंता नहीं है, और वहा से हम आस्ट्रेलिया के आर-पार जाएंगे और फिर दक्षिण अमरीका और वहां से सीधे मैक्सिको पहुंचेंगे ( उसने रास्ते को संकेत से बताया) और याद रहे, मैं अब भी अपाहिज होकर व्हील चेयर पर बैठा हूं। इसलिए तुम्हारे जासूसों का उनके कैमरों के साथ क्या उपयोग रहा ?- फिर कनाडा और वहां से हम फ्रांस को पार करते हुए लॉर्डस नामक स्थान को देखने जाएंगे, और वहां तुम देखोगे - एक चमत्कार। लेकिन असली जीवन में चमत्कार नहीं घटते तुम्हारे लिए कोई लॉर्डस नहीं है। अगर तुम अपंग हो तो तुम्हीं को कुछ करना पड़ेगा- क्योंकि यह तुम्हीं हो जिसने, कुछ ऐसी बात स्वीकार करके जो नितान्त मूढतापूर्ण है, स्वयं को अपंग कर लिया है। फिर भी मैं जानता हूं कि तुम्हें इसे स्वीकारना पड़ा है। जीवित रहने के लिए तुम मृत रहने का निर्णय करते हो। जिंदा रह पाने के लिए तुमने अपने अस्तित्व को बेच दिया है। किंतु अब उस मूढ़ता की बात को जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम इससे बाहर हो सकते हो । प्रश्न: अधिक समय तो मैं कामुक अनुभव करता हूं, और मेरी आंखें दूसरे की खोज करती रहती है। और मैं मन में भी बहुत अधिक बना रहता हूं, जहां तक मैं स्वयं को समझता हूं, ये तीन ही मेरी मूलभूत समस्याए है। मैं इन समस्याओं की बदलियों में घिरा रहता हूं, इसलिए जैसे मुझे आपको सुनना चाहिए, उस प्रकार से नहीं सून पाता हूं, कृपया मुझे मार्ग दिखाएं।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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