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________________ के साथ छल किया। शुद्धता खो दी गई तभी धर्म प्रसारित हो गया। बौद्ध धर्म संसार के महान धर्मों में से एक बन गया। उन्होंने मानव मन की राजनीति को सीख लिया। उन्होंने तुम्हारी इच्छा को पूरा कर दिया। उन्होंने कहा, हां, वहां आत्यंतिक सौंदर्य के देश हैं, बुध-देश हैं, स्वर्ग-तुल्य देश हैं जहां शाश्वत आनंद की वर्षा होती है। उन्होंने विधायक भाषा में बोलना आरंभ कर दिया। फिर लोगों का जाग गया, इच्छा उठ खड़ी हई। लोगों ने बौदध धर्म का अनुगमन करना आरंभ कर दिया, लेकिन बौदध धर्म ने अपना सौंदर्य खो दिया। इसका सौंदर्य इसका इसी बात पर बल देने से था कि यह तम्हें इच्छा करने के लिए कोई विषय-वस्त नहीं देता था। पतंजलि ने परम सत्य के बारे में जो भी श्रेष्ठतम कहा जाना संभव था वह लिख दिया है, लेकिन उनके चारों ओर कोई धर्म नहीं खड़ा हुआ, उनके चारों ओर कोई स्थापित चर्च नहीं बना है। इतना महान शिक्षक, इतना महान सदगुरु, वास्तव में अनुयायियों के बिना रहा है। एक मंदिर तक उनको समर्पित नहीं किया गया है। क्या हो गया? उनके योग-सूत्र पढ़े जाते हैं, उन पर टीकाएं लिखी जाती हैं, लेकिन ईसाइयत, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, हिंदू धर्म, इस्लाम जैसा कुछ भी पतंजलि के साथ अस्तित्व नहीं रखता है। क्यों? क्योंकि वे तुमको कोई आशा नहीं देते हैं। वे तुम्हारी इच्छा के लिए कोई सहायता नहीं देंगे। 'वह जिसमें समाधि की सर्वोच्च अवस्थाओं के प्रति भी इच्छारहितता का सातत्य बना हुआ है, और जो विवेक के चरम का प्रवर्तन करने में समर्थ है, उस अवस्था में प्रविष्ट हो जाता है जिसे धर्ममेघ समाधि कहा जाता है।' धर्ममेघ समाधि, इस शब्द का समझ लेना चाहिए। बहुत जटिल है यह। और पतंजलि पर बहुत अधिक टीकाएं लिखी जा चुकी हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि वे असली बात से चूकते रहे हैं। धर्ममेघ समाधि का अर्थ है : एक ऐसा क्षण आता है जब प्रत्येक इच्छा मिट चुकी है। जब स्व तक की चाह नहीं बचती, जब मृत्यु का भय नहीं रहता, तब तुम्हारे ऊपर पवित्रता की बरसात होती है-जैसे कि एक बादल तुम्हारे सिर के चारों ओर उमड़ आया है, और पवित्रता की, आशीष की एक महान वरदान की मनोहारी वर्षा तुम्हारे ऊपर होती है.......लेकिन पतंजलि इसको 'बादल' क्यों कहते हैं? व्यक्ति को इसके भी पार जाना पड़ता है; अभी भी यह एक बादल है। पहले तुम्हारी आंखें पाप से भरी हुई थीं, अब तुम्हारी आखे पुण्य से भर जाती हैं, किंतु तुम अब भी अंधे हो। पहले और कुछ नहीं बल्कि तुम पर पीड़ा बरस रही थी, बस एक नरक की बरसात तुम पर हो रही थी; अब तुम स्वर्ग में प्रविष्ट हो चुके हो और सभी कुछ पूर्णत: सुंदर है, शिकायत करने लायक कुछ है ही नहीं, लेकिन फिर भी यह एक बादल है। हो सकता है कि यह सफेद बादल हो, काला बादल न हो, लेकिन फिर भी यह बादल ही हैऔर व्यक्ति को इसके भी पार जाना पड़ता है। इसीलिए वे इसको बादल कहते हैं।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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