SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 387
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सेतु गिर जाता है। चौबीस घंटे तक वे किसी मंदिर में या मस्जिद में स्तुति गाते हुए, नाचते हुए परमात्मा से लय मिलाते हुए रहते हैं। फिर वह क्षण आता है जब वे आग पर चलते हैं। वे नृत्य करते हुए आविष्ट की भाव-दशा में आते हैं। वे पूरी श्रद्धा से आते हैं कि उनको आग जला नहीं सकती, बस यही है; और कुछ भी नहीं है इसमें। प्रश्न यही है कि श्रद्धा किस भांति निर्मित की जाए। फिर वे आग पर नृत्य कर लेते हैं और आग नहीं जलाती। ऐसा अनेक बार हो गया है कि कोई व्यक्ति जो बस एक दर्शक था वह तक आविष्ट हो गया। बीस लोग आग पर चल रहे हैं और जले नहीं, और कोई व्यक्ति अचानक इतना आश्वस्त हो गया है : 'यदि ये लोग आग पर चल रहे हैं तो मैं क्यों नहीं चल सकता?' और वह भीतर कूद पड़ा और आग ने उसको नहीं जलाया। उसी क्षण में अचानक एक श्रद्धा जाग उठी। कभी-कभी ऐसा हो गया कि जो लोग तैयारी करके आए थे, जल गए। कभी-कभी कोई बिना तैयारी किय | दर्शक आग पर चल गया और नहीं जला। क्या हो गया ?-जिन लोगों ने तैयारी की थी उनमें कहीं कोई संदेह अवश्य रहा होगा। वे यह अवश्य सोच रहे होंगे कि ऐसा होने जा रहा है या नहीं। उनकी चेतना में, विज्ञानमय कोष में एक सूक्ष्म संदेह अवश्य रहा होगा। यह संपूर्ण श्रद्धा नहीं थी। इसलिए वे आए थे, लेकिन संदेह के साथ। उस संदेह के कारण शरीर उच्चतर आत्मा से संदेश ग्रहण नहीं कर सका। दोनों के मध्य में संदेह आ खड़ा हआ और शरीर ने सामान्य ढंग से कार्य करना जारी रखा; वह जल गया। यही कारण है कि सभी धर्म श्रद्धा पर बल दिया करते हैं। सम्मोहन चिकित्सा है श्रद्धा। श्रद्धा के बिना तुम अपने अस्तित्व के सूक्ष्म भागों में प्रविष्ट नहीं हो सकते, क्योंकि एक जरा सा संदेह और तुमको वापस स्थल पर फेंक दिया जाता है। विज्ञान संदेह के साथ कार्य करता है। संदेह वितान की विधि है, क्योंकि विज्ञान स्थूल के साथ कार्य करता है। तुम संदेह करते हो या नहीं, एक एलोपैथ चिकित्सक को चिंता नहीं होती। वह तुमसे अपनी औषधि में भरोसा करने के लिए नहीं कहता, वह तो बस तुमको दवा दे देता है। लेकिन एक होम्योपैथ चिकित्सक पूछेगा, क्या तुमको भरोसा है, क्योंकि किसी होम्योपैथ के लिए तुम्हारे विश्वास के बिना तुम पर कार्य कर पाना अधिक कठिन होगा। और एक सम्मोहन-विद पूर्ण समर्पण के लिए कहेगा। वरना कुछ नहीं किया जा सकता है। धर्म है समर्पण। धर्म है सम्मोहन चिकित्सा। लेकिन अभी एक और शरीर है, वह है आनंदमय कोष : आनंद का शरीर। सम्मोहन चिकित्सा चौथे शरीर तक जाती है। ध्यान पांचवें शरीर तक जाता है। मेडिटेशन' यह शब्द ही सुंदर है क्योंकि इसका मूल वही है जो मेडिसिन का है। दोनों एक ही मूल से आते हैं। मेडिसिन और मेडिटेशन एक ही शब्द की व्यत्पत्तियां है वह जो स्वस्थ करता है, वह जो तुमको स्वस्थ और समग्र बनाता है, मेडिसिन (औषधि) है और गहनतम तल पर यही मेडिटेशन (ध्यान) है। ध्यान तुमको सुझाव तक नहीं देता, क्योंकि सुझाव बाहर से दिए जाते हैं। किसी और को तुम्हें सुझाव देना पड़ता है। सुझावों का अभिप्राय है कि तुम किसी और पर निर्भर हो। वे तुमको पूरी तरह
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy