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________________ एक बॉस अपनी सुंदर किंतु बहरी सचिव से बहुत परेशान था, एक सुबह तो वह अपना आपा खो बैठा। तुम फिर से देर से आई हो। वह गरज कर बोला, तुम उस अलार्म घड़ी का प्रयोग क्यों नहीं करती जो मैंने तुमको खरीद कर दी थी? लेकिन मैं सदैव उसका प्रयोग करती हूं। उसने विनम्रतापूर्वक कहा, हर रात्रि अलार्म लगा कर सोया करती हूं। ठीक है, बॉस ने कहा, जब अलार्म बजता है तो तुम जागती क्यों नही? लेकिन वह सदैव उसी समय बोलता है जब मैं सो रही होती हैं। जो हो रहा है वह यही तो है। तुम सो रहे हो, और जब तुम सो रहे हो तो अलार्म घडी भी कुछ कर नहीं सकती है। क्या तुमने कभी यह बात नहीं देखी है कि यदि तुम सो रहे और अलार्म घड़ी बजने लगे तो तुम कोई स्वप्न देखने लगते हो ऐसा स्वप्न कि तुम एक मंदिर में हो और मंदिर की घंटियां बज रही हैं? इस तथ्य से बचाव करने के लिए कि अलार्म घड़ी बज रही है, तुम इसके चारों ओर एक स्वप्न निर्मित कर लेते हो। और तब निःसंदेह तुम सोना जारी रखते हो, अब वहां कोई अलार्म घड़ी नहीं है। यही तो है जो तुम्हारे साथ लगातार घट रहा है। तुम मुझको सुनते रहते हो, ले जानता हूं कि तुम इसके चारों ओर एक स्वप्न निर्मित कर लोगे। यदि तुम मुझे सुनते हो तो तुम्हें जागना पड़ता है, लेकिन समस्या यह है कि क्या तुम मुझको सुनोगे? या क्या जो मैं कहता हूं तुम उसके चारों ओर कोई स्वप्न निर्मित कर लोगे? और तुम स्वप्न निर्मित करते हो। तुम समाधि के बारे में भी स्वप्न निर्मित कर सकते हो। तुम समाधि के बारे में स्वप्न देखना आरंभ कर सकते हो, तुम मुझसे चूक गए हो। और लोग चूकते चले जाते हैं। संदेश की व्याख्या तुम्हें करनी पड़ती है, यही समस्या है। मैंने सुना है, एक बड़ी कंपनी के मालिक ने एक सूचना–पट खरीदा, जिस पर लिखा था 'इसे अभी कर लो।' और उसने इस सूचना-पट को कार्यालय में इस आशा में लटका दिया कि इससे 'उसके कर्मचारियों को काम त्वरित ढंग से निपटाने में प्रेरणा मिलेगी। कुछ दिन बाद उसके एक मित्र ने पूछा कि क्या उस सूचना-पट को कोई प्रभाव पड़ा? उस ढंग से तो नहीं जिस ढंग से मैंने सोच रखा था, बॉस ने स्वीकार किया। कैशियर दस हजार डालर लेकर भाग गया- 'इसे अभी कर लो',-मुख्य अभिलेख अधीक्षक मेरी निजी सचिव को लेकर भाग गया- 'इसे अभी कर लो' –तीनों लिपिकों ने वेतन वृद्धि की मांग कर दी है, टाइप करने वाली ने अपना पुराना टाइपराइटर खिड़की से बाहर फेंक दिया है- 'इसे अभी कर लो' -और चपरासी ने लगता है कि.. .मेरी कॉफी में... आह.. .जहर मिला दिया... आह!
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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