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________________ प्रयास तो करो। पोलिश व्यक्ति ने कहा : इसे पढ़ लूं? मैं इस आदमी को व्यक्तिगत रूप से जानता यह स्वीकार करना अत्यंत कठिन है कि तुम नहीं जानते, कि तुमको नहीं पता कि तुम इतने अहंकारी क्यों हो। तुम नहीं जानते कि तुम इतनी आसानी से क्रोधित क्यों हो जाते हो। तुम नहीं जानते कि वहां तुम्हारे भीतर लोभ क्यों है। तुम नहीं जानते कि वहां वासना क्यो है, वहां भय क्यों है। कारण को जाने बिना तुम प्रभावों से संघर्ष करना आरंभ कर देते हो। तुम मान लेते हो कि तुम जानते हो। अनेक लोग मेरे पास आते हैं और वे कहते हैं, किसी भी तरह हम क्रोध से छुटकारा पाना चाहते हैं। मै उनसे पूछता हूं क्या तुमको कारण पता है? वे अपने कंधे उचका देते हैं। वे कहते हैं, बस क्रोध है, और सानी से क्रोधित हो जाता हं और यह मुझको विचलित कर देता है, मेरे संबधों को खराब कर देता है, मुझको और तनावग्रस्त कर देता है, चिंता, पश्चात्ताप और अपराध- बोध निर्मित कर देता है। किंतु ये सभी प्रभाव हैं। पहली बात, क्रोध उठता ही क्यों है? कोई पूछता नहीं। और इसका सौंदर्य यही है, यदि तुम कारण के बारे में पूछो, तुम्हें यह जान कर आश्चर्य होगा कि कारण एक ही है। प्रभाव तो लाखों हो सकते हैं परंतु कारण एक है, जड़ एक है। क्रोध, लोभ, अहंकार, वासना, भय, घृणा, ईर्ष्या, शत्रुता, हिंसा, चाहे जो भी प्रभाव हो, कारण एक ही है। और कारण है कि तुम पर्याप्त जागरूक नहीं हो। तुम क्रोध को काबू कर. सकते हो, किंतु. इससे तुम्हें सहायता नहीं मिलेगी। यह तुम्हारे भीतर के रोग को बस नियंत्रण में करना है, उसे पकड़ कर रखना है। यह तुमको स्वस्थ नहीं कर देगा। बल्कि यह तुम्हें और अस्वस्थ बना सकता है। इसे तुम देख सकते हो-एक व्यक्ति जो सरलता से क्रोधित हो जाता है वह कभी बहुत खतरनाक नहीं होता। उसके बारे में तुम निश्चित हो सकते हो कि वह कभी हत्या नहीं करेगा। वह कभी इतना क्रोध एकत्रित नहीं कर लेगा जिससे वह हत्यारा बन जाए। प्रत्येक दिन वह रेचन कर किसी भी उद्दीपन से, सरलतापूर्वक वह क्रोधित हो जाता है। इसका अर्थ है बहत देर तक उसकी भाप उसके भीतर एकत्रित नहीं रह पाती। उसका पात्र रिसता रहता है।. जब कभी भी बहुत अधिक भाप हो जाती है वह उसको निकल जाने देता है। वह व्यक्ति ज अधिक नियंत्रित है, एक खतरनाक व्यक्ति है। वह अपने भीतर भाप रोकता चला जाता है, उसकी ऊर्जाएं बंध जाती हैं, रुक जाती हैं। आज नहीं तो कल उसकी ऊर्जाएं उसके नियंत्रण से अधिक बलशाली सिद्ध हो जाएंगी। तब उसका विस्फोट हो जाएगा, फिर कुछ ऐसा करेगा जो वास्तव में संगीन अपराध होगा। वह व्यक्ति जो सरलता से क्रोधित हो जाता है, सरलता से शांत भी हो जाता है। मैंने सुना है, 'मुझे अफसोस है श्रीमान', क्लर्क ने कहा, 'लेकिन मैं त्यागपत्र देना चाहता हूं।' 'लेकिन क्यों?' बीस ने हैरानी से पूछा। 'ठीक है, श्रीमान, आपको सच बता ही देता हूं आपके जल्दी से क्रोधित होने वाले स्वभाव के कारण मैं यहां रुक नहीं सकता हूं।'
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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