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________________ श्रीमान सज्जाकार, जो मैं चाहता हूं वह यह है कि जब मेरे मित्र यहां आएं तो इसकी सज्जा पर एक नजर डाले और कुढ़ कर मर जाएं। दूसरी : एक युवा जोड़ा होटल के एक कमरे में बेहद रोमांटिक मूड में आलिंगनबद्ध था कि सामने वाले दरवाजे के ताले में चाबी घुमाने की आवाज आई। युवती अचानक चौंक कर आलिंगन से निकली और आगामी खतरे को भांप कर घबड़ाहट की मुद्रा में उसकी आंखें फैल गईं। हाय राम, वह चिल्लाई, यह मेरे पति हैं। जल्दी करो, खिड़की से बाहर कूद पड़ो। युवक भी उतना ही घबडा कर खिड़की की ओर लपका, फिर गंभीरता से बोला, मैं कूद नहीं सकता! हम तेरहवीं मंजिल पर हैं! भगवान के लिए, युवती क्रोध से चिल्ला कर बोली, क्या यह बहस करने का वक्त है? तीसरी : पत्नी एक नया हैट पहने हुए वापस लौटी। तुमको यह हैट कहां मिल गया? उसके पति ने पूछा, क्लीयरेंस सेल में। इसमें जरा भी हैरानी की बात नहीं है कि वे इसे क्यों बेच डालना चाहते थे, उसने कहा, इसे लगा कर तुम बेवकूफ जैसी दिखाई पड़ती हो। मुझे पता है। फिर तुमने इसको क्यों खरीद लिया? उसने जिज्ञासा की। बताऊंगी मैं तुम्हें, वह बोली, जब मैंने इसको लगाया और स्वयं को दर्पण में देखा तो सेल्समैन से विवाद करने के लिए मैं स्वयं को ही काफी बेवकूफ लगी। इसलिए हैट लेकर मैं खामोशी से चली आई। चौथी : मुल्ला नसरुद्दीन मुझको बता रहा था कि विवाह उस प्रकार के पुरुष की खोज की प्रक्रिया है जिस प्रकार का पुरुष तुम्हारी पत्नी ने पसंद किया होता। इसी सुबह मेरी पत्नी ने मुझसे कहा, यदि तुमने मुझसे वास्तव में प्रेम किया होता तो तुमने किसी और से विवाह कर लिया होता। मैंने उसको भरोसा दिलाया कि उसके साथ विवाह करके मैं बहुत प्रसन्न हूं और मैंने कहा, यदि मुझको अपने स्थान पर रिचार्ड बर्टन को लाना हो तो भी मैं ऐसा न करूं। उसने कहा : मैं जानती हूं कि तुम ऐसा नहीं करोगे, मुझे खुश रखने के लिए तुम कभी कुछ नहीं करते हो। आज इतना ही।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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