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________________ का स्तर ऊंचा और ऊंचा होता चला जाता है और एक दिन तुम्हारी ऊर्जा सहस्रार से प्रकीर्णित होने लगती है। तुम एक कमल, एक सहस्र पंखुड़ियों वाला कमल बन जाते हो। आज इतना ही। प्रवचन 94 - सभी कुछ परस्पर निर्भर है प्रश्न-सार: 1-आप कहते हैं, 'पूरब में हम' कृपया इसका अभिप्राय समझाएं? 2-आप संसार में उपदेश देने क्यों नहीं जाते? 3-कपटी घड़ियाल की चेतना के बारे में कुछ कहिए? 4-परस्पर निर्भरता और पूर्ण स्वार्थ में क्या संबंध है? 5-समर्पण के लिए किस भांति कार्य करूं? 6-क्या परम ज्ञान को उपलब्ध व्यक्ति भी बच्चों को जन्म देते हैं? पहला प्रश्न :
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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