SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 276
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पौधों पर निर्भर होना पड़ेगा। वे तुम्हें भोजन की आपूर्ति कर रहे हैं। क्या तुम पानी नहीं पियोगे ? फिर तो तुम्हें नदियों पर निर्भर होना पड़ेगा। और क्या तुमको सूर्य की आवश्यकता नहीं पड़ेगी? तब तो तुम मर जाओगे। तुम स्वतंत्र कैसे हो सकते हो? ' आत्मनिर्भर' एक गलत शब्द है, उतना ही गलत है जितना गलत यह शब्द निर्भर है। आत्मनिर्भरता और पर निर्भरता दोनों गलत हैं। असली बात है, 'परस्पर निर्भरता।' हम सभी साथ-साथ हैं, परस्पर निर्भर हैं। राजा तक अपने दास पर उतना ही निर्भर है जितना कि दास राजा पर निर्भर है। यह एक परस्पर निर्भरता है। ऐसा खलीफा हास्न रशीद के जीवन में हुआ वह अपने दरबारी विदूषक बोल्लुल के साथ बैठा हुआ था और उसने कहा, बोल्लुल, मैं संसार में सर्वाधिक आत्मनिर्भर व्यक्ति हूं। मैं अनंत शक्ति संपन्न सुलान हूं और मैं जो कुछ भी चाहूं कर सकता हूं। सारा संसार मेरी आशा मानता है। क्या तुम किसी को खोज सकते हो जो मेरे आदेश के अधीन न हो । बोल्लुल खामोश रहा, फिर वह बोला, हुजूर यह एक मक्खी मुझे बहुत परेशान कर रही है। क्या आप उसे आता दे सकते हैं कि वह मुझे तंग न करे? हारून रशीद ने कहा तुम मूर्ख हो। मैं किसी मक्खी को कैसे आदेश दे सकता हूं? और वह मेरी बात नहीं सुनेगी। बोल्लुल ने कहा हुजूर क्या आप भूल गए, अभी आप क्या कह रहे थे कि सारा संसार आपके आदेशों का पालन करता है? और यह मक्खी भी जो ठीक आपके सामने मेरे सिर पर बैठी है। मैं इसको भगा देने की कोशिश कर रहा हूं और यह बार-बार आकर मेरी नाक पर बैठ रही है; और मैंने देखा है कि यह आपकी नाक पर भी बैठ चुकी है, हुजूर! और आप इस जरा सी मक्खी को आशा नहीं दे सकते? और सारा संसार आपके आदेश का पालन करता है? कृपया आप दुबारा सोचें। यह संसार एक परस्पर निर्भरता है। हारून रशीद और मक्खियां सभी परस्पर निर्भर हैं, और बोल्लुल हारुन रशीद से अधिक समझदार है। वस्तुत: क्योंकि वह बहुत बुद्धिमान है, इसीलिए उसे मूर्ख समझा जाता है। या शायद ऐसा उसकी बुद्धिमानी के कारण है कि वह स्वयं को मूर्ख कहता हो, क्योंकि मूर्खों के इस संसार में तुमको यह घोषित नहीं करना चाहिए कि तुम एक बुद्धिमान व्यक्ति हो। वरना वे तुमको मार डालेंगे। यह बोल्लुल सुकरात और जीसस से अधिक समझदार प्रतीत होता है। उन्होंने एक गलती की, उन्होंने घोषणा कर दी कि वे समझदार हैं। इसी बात ने संकट उत्पन्न कर दिया। सारे मूर्ख एक साथ एकत्रित हो गए और उन्होंने कहा, हम तुम्हें सहन नहीं कर सकते। तुम किसी बोल्लुल को सूली नहीं चढ़ा सकते। हो सकता है कि वह जीसस और सुकरात से अधिक समझदार हो । वह कहता है, मैं बेवकूफ हूं हुजूर, लेकिन उसकी अंतर्दृष्टि को देखो।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy