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और कल रात मैंने आपको अनेक भली स्त्रियों से एक साथ विवाह करते हुए देखा, और आपने मुझसे कहा कि आप उन सभी के साथ सरलता और सहजतापूर्वक निभा लेंगे।
ओशे, कृपया कुछ कहेंगे कि स्वप्न देखने वाले के लिए इस सबका क्या अभिप्राय है?
यह प्रश्न स्वामी आनंद मैत्रेय ने पूछा है। यह सुंदर प्रश्न है। और एक अच्छा तथा अर्थपूर्ण प्रश्न है
यह। यह उनके बारे में बहुत कुछ प्रदर्शित करता है।
पहली बात, अतीत में वे राजनीतिज्ञ रहे हैं, और उन्हें बहुत उम्मीदें थीं। वे पंडित जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण और रामधारी सिंह दिनकर के सहयोगी रहे हैं। कई वर्षों तक वे संसद के सदस्य भी रहे हैं। किसी प्रकार वे मेरे प्रति आकृष्ट हो गए, और एक महान राजनेता, एक बड़ी राजनैतिक ताकत बन पाने के उनके सारे स्वप्न खो गए। लेकिन अतीत अब भी चिपका है।
ये सपने जिनमें नेहरू, जयप्रकाश और दिनकर आते हैं, बहुत प्रतीकात्मक हैं। वे प्रदर्शित करते हैं कि उनके अचेतन में कहीं भीतर अभी भी राजनैतिक महत्वाकांक्षा विद्यमान है। वे अभी तक इससे पूरी तरह से छुटकारा पाने में समर्थ नहीं हो पाए हैं। वे निष्ठापूर्वक मेरे साथ हैं, वे प्रमाणिकता से मेरे साथ हैं लेकिन अतीत अब भी चिपका है। वे इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, यही कारण है कि अतीत दिन में नहीं आता है। रात में जब वे गहरी नींद में और असहाय होते हैं तब वह आ जाता है। तब मन पुरानी चालबाजियां बार-बार खेलना आरंभ कर देता है।
मैं उनके सपनों में अधिक नहीं आता, क्योंकि मैं तो यहां हं ही। मैं यथार्थ में यहां ह इसलिए मेरे बारे में स्वप्न निर्मित करने में क्या सार है। याद रखो, स्वप्न सदैव उन्हीं चीजों के बारे में आते हैं जो उपस्थित नहीं हैं; या तो वे अतीत में थीं या भविष्य में तुम उन्हें चाहोगे। जो कुछ भी वर्तमान में तुम्हारी वास्तविकता का हिस्सा है, कभी तुम्हारे स्वप्नों में नहीं आएगा। तुम्हारी खुद की पत्नी कभी भी तुम्हारे स्वप्नों में नहीं आएगी, पड़ोसियों की पत्नियां, वे आ जाएंगी। तुम्हारा अपना पति कभी तुम्हारे स्वप्नों में न आएगा, कोई सार ही नहीं है उसके आने में, लेकिन दूसरे लोग आ जाएंगे।
स्वप्न वास्तविकता का स्थानापन्न है। यह परिपूरक है। यदि तुमने ढंग से भोजन किया है, अपने भोजन का आनंद लिया है, इसको प्रेम किया है, और तुम संतुष्ट हो, तो तुम रात्रि को स्वप्न में पुन: भोजन करते हए स्वयं को न देखोगे और न ही ऐसा सोचोगे, ऐसा स्वप्न नहीं आएगा। एक दिन उपवास करो, और फिर तुम्हें स्वादिष्ट भोजन, सुस्वाद भोजन के स्वप्न आएंगे-तुम्हें राजघराने दवारा राजमहल में निमंत्रित किया गया है, तुम खाते हो, खा रहे हो और खाए जा रहे हो।