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यहूदी कहते हैं, 'परमात्मा से भयभीत रहो ध्यान रहे, वह तुम्हारा चाचा नहीं है। लेकिन हिंदू कहते हैं, 'चिंता की कोई बात नहीं, परमात्मा तुम्हारी मां है।' यहूदियों ने बहुत ही क्रूर परमात्मा की कल्पना की है, जो हमेशा लोगों को अग्नि में जलाने और मारने को तैयार रहता है। और छोटा सा पाप भी, चाहे वह अनजाने में ही हो गया हो और यहूदियों का परमात्मा एकदम क्रुद्ध, आग-बबूला हो जाता है। उनका परमात्मा विक्षिप्त मालूम होता है।
और ईसाइयों की पूरी की पूरी ट्रिनिटी की धारणा-गॉड, होली घोस्ट और सन यह पूरी की पूरी ट्रिनिटी लड़कों की सभा मालूम पड़ती है होमोसेक्यूअल, समलैंगिक कोई स्त्री नहीं और ईसाई चंद्र- ऊर्जा से, स्त्री से इतने भयभीत हैं कि उनके पास स्त्री की कोई अवधारणा ही नहीं है। आगे चलकर किसी तरह उन्होंने वर्जिन मेरी का नाम जोड़कर इसमें थोड़ा सुधार करने की कोशिश की है। किसी तरह से, क्योंकि यह बात उनके सिद्धांत के बिलकुल विपरीत पड़ती है, उनके सिद्धांत के एकदम खिलाफ है। और फिर भी ईसाई इस बात पर जोर देते हैं कि वह वर्जिन है, कुंआरी है।
ईसाई धारणा में सूर्य और चंद्र का मिलन एकदम अस्वीकृत है। चाहे वे वर्जिन मेरी का आदर करते हैं.. निश्चित ही यह एक द्वितीय श्रेणी की पदवी है, क्योंकि ट्रिनिटी में उसके लिए कोई स्थान नहीं है। फिर उन्हें अपनी इस ट्रिनिटी की धारणा में कुछ अपूर्णता का अहसास हुआ, तो उन्होंने पीछे के द्वार से वर्जिन मेरी का प्रवेश करवाया। लेकिन फिर भी ईसाई इस बात पर जोर दिए चले जाते हैं कि वह वर्जिन है, कुंआरी है। आखिर इस बात पर इतना जोर क्यों? पुरुष और स्त्री ऊर्जा के मिलन में आखिर गलत क्या है?
और अगर तुम बाह्य जगत में पुरुष और स्त्री की ऊर्जा के मिलन से इतने भयभीत हो, तो तुम अंतर्जगत में घटित होने वाले ऐसे ही मिलन के लिए कैसे तैयार हो सकोगे?
हिंदुओं के परमात्मा अधिक मानवीय हैं, अधिक मानवोचित हैं- जीवन के यथार्थ के अधिक निकट हैं - और निश्चित ही उनसे करुणा और प्रेम प्रवाहित होता है।
प्रातिभाद्वा सर्वम् ।
'प्रतिभा के द्वारा समस्त वस्तुओं का बोध मिल जाता है।
प्रतिभा शब्द को समझाना कठिन है, इसका अंग्रेजी में ठीक-ठीक अनुवाद नहीं किया जा सकता । अगर इसे इन्टयूशन अंतबध कहा जाए तो भी वह बहुत ही अपूर्ण व्याख्या होगी, फिर उसकी भी व्याख्या करनी पड़ेगी। इसका अनुवाद नहीं किया जा सकता, मैं केवल इसका वर्णन कर सकता
सूर्य बुद्धि है, चंद्र अंतर्बोध है। जब कोई व्यक्ति इन दोनों का अतिक्रमण कर जाता है, तब प्रतिभा आविर्भाव होता है – और इसके लिए कोई दूसरी शब्दावली नहीं है। सूर्य है बुद्धि, विश्लेषण, तर्क। चंद्र