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मैं तुम से एक कथा कहना चाहूंगा :
मौलाना अरशाद वायज एक बहुत बड़ा उपदेशक और एक बड़ा अच्छा वक्ता था, लेकिन था वह एक भिक्षु। एक बार बादशाह ने मौलाना अरशाद को अपने दरबार में बुलाया और कहा, 'मौलाना अपने मंत्रियों के कहने से मैं तुम्हें अपना प्रतिनिधि बनाकर शिराज में शाह शोजाज के दरबार में भेज रहा हूं। फिर भी मैं चाहता हूं कि तुम मुझसे वायदा करो कि बाहर के मुल्क में तुम भिक्षा न मांगोगे - क्योंकि मैं नहीं चाहूंगा कि मेरे द्वारा भेजा हुआ प्रतिनिधि बाहर के मुल्क में भीख मांगे, तो तुम्हें इसके लिए वायदा करना होगा।'
मौलाना से जैसा कहा गया था उसने वैसा ही किया और शिराज की ओर रवाना हो गया।
जिस लक्ष्य से वह आया था जब वह सफल हो गया तो एक दिन शिराज के शाह ने उससे कहा, 'आपके उपदेशों की ख्याति हमारे यहां तक पहुंच चुकी है और हमें आपके उपदेश सुनने की बेहद तमन्ना है।'
सम्राट के ऐसा कहने पर मौलाना राजी हो गया।
नियत दिन, शुक्रवार को मौलाना ने अपना प्रवचन दिया, और उसने इतना हृदय -स्पर्शी प्रवचन दिया कि सुनने वालों की आंखों में आंसू आ गए। लेकिन इससे पहले कि वह मंच से उतरता, वह अपनी भिक्षा मांगने की आदत को रोक न सका।
वह बोला, 'ओ मुसलमानो! कुछ हफ्ते पहले तक मैं भीख मांगता था। लेकिन यहां आने से पूर्व वहां के बादशाह ने मुझे यह शपथ दिलवायी कि मैं आपके शहर में रहते हुए भीख न मांगूंगा। मैं आप से ही पूछता हूं मेरे भाइयो, अगर मैंने भीख न मांगने की कसम खायी है, तो क्या आप सब ने भी मुझे कुछ भी न देने की कसम खायी है?'
मन बहुत चालाक होता है। वह अपने रास्ते खोज लेता है 'अगर मैं भीख नहीं मांग सकता तुम तो दे सकते हो न।'
ध्यान रहे कि मन की आदत है विश्लेषण करने की, और योग है संश्लेषण। तो जब कभी मन विश्लेषण करे, उसे उठाकर एक तरफ रख देना। विश्लेषण के द्वारा तुम अंतिम छोर तक, छोटे से छोटे अणु -परमाणु तक पहुंच जाओगे, लेकिन संश्लेषण के द्वारा तुम विराट और समग्र तक पहुंच जाओगे। विज्ञान खोज करते – करते अणु तक जा पहुंचा, और योग खोजते –खोजते आत्मा तक पहुंच गया। अणु का अर्थ है लघु, और छोटा। और आत्मा का अर्थ है. विराट। योग ने संपूर्ण को जाना है, समग्र को अनुभव किया है, और विज्ञान ने छोटे और उससे भी छोटे तत्व को जाना है, और इसी तरह वह लघु की ओर चलता चला जा रहा है।