________________ तरह की ऊर्जा, शक्ति और ओज नहीं होगा। और जब चेतना की धारा नदी की भांति सतत प्रवाहित होती है, तो व्यक्ति ऊर्जा का झरना, ऊर्जा का स्रोत बन जाता है। यह है संयम का दवितीय चरण। और फिर संयम का तीसरा चरण जो परम और अंतिम है -वह है समाधि। धारणा में विषय महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उसमें बहुत से विषयों में से किसी एक विषय को चुनना होता है। ध्यान में, मेडीटेशन में चेतना महत्वपूर्ण होती है, उसमें चेतना को एक निरंतर प्रवाह बना देना होता है। समाधि में द्रष्टा महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अत में द्रष्टा को भी गिरा देना होता तुमने बहुत से विषयों को गिराया। जब बहुत से विषय होते है, तो विचारों की एक भीड़ होती है, चित्त बह -चित्तवान होता है -तब एक चित नहीं होता, बहुत से चित्त होते हैं। लोग मेरे पास आकर कहते हैं, हम संन्यास लेना चाहते हैं, लेकिन वही 'लेकिन' दूसरे चित्त को, दूसरे मन को बीच में ले आता है। हम सोचते हैं कि वे दोनों एक ही हैं, किंतु वह 'लेकिन' ही दूसरे मन को बीच में ले आता है। वे दोनों एक नहीं हैं। वे संन्यास लेना भी चाहते हैं और साथ ही वे संन्यास लेना भी नहीं चाहते हैं -वे अपने दो मन, दो विचारों के बीच निर्णय नहीं ले पाते। अगर हम इस बात का निरीक्षण करें, तो हम पाएंगे कि हमारे भीतर बहत से विचार निरंतर चल रहे हैं -हमारे भीतर विचारों की एक भीड़ मची हुई है। जब मन में बहुत सारे विषय होते है, तो उनसे संबंधित बहुत से विचार भी होते हैं। जब एक ही विषय होता है, तो एक ही मन रह जाता है –फिर एक मन एकाग्र होता है, स्वयं में केंद्रित होता है, स्वयं में प्रतिष्ठित होता है, स्वयं में निहित होता है। लेकिन अब अंत में इस एक मन को भी गिरा देना होता है, अन्यथा हम अहंकार से जुड़े रहेंगे, अहंकार फिर भी बिदा नहीं होगा। पहले मन से ने विचारों की भीड़ चली गई, अब उस एक विचार को एक विषय को भी गिरा दैना है। समाधि में इस एक मन को भी गिरा देना होता है। और जब मन गिर जाता है, तो वह एक विषय भी मिट जाता है, क्योंकि बिना मन के वह भी नहीं रह सकता। वे दोनों साथ -साथ में ही अस्तित्व रखते हैं। समाधि में केवल चैतन्य शुदध आकाश की तरह बच रहता है। इन तीनों के सम्मिलन को ही संयम कहते हैं। संयम मानवीय चेतना का सबसे बड़ा जोड़ है। अब तुम्हें इन सूत्रों को समझना आसान होगा 'सक्रिय व निष्किय या लक्षणात्मक व विलक्षणात्मक-इन दो प्रकार के कर्मों पर संयम पा लेने के बाद, मृत्य की ठीक -ठीक घड़ी की भविष्य सूचना पायी जा सकती है।'