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प्रवचन 62 - मन चालाक है
प्रश्नसारः
1-एक भिखारी के लिए मैं क्या कर सकता हूँ?
और आपने कहा है कि हमें विपरीत धुवों को समाहित करना है। तो क्या मैं एक साथ क्रांतिकारी और संन्यासी हो सकता हूं?
2--भगवान, आप योगी हैं,या भक्त हैं, या ज्ञानी हैं, या तंत्रिक हैं?
3-अगर मैं स्वयं से ही भयभीत हं तो समर्पण कैसे करू? और मेरे हृदय में पीड़ा हो रही है कि प्रेम का द्वार कहां है?
4-जब भी मैं आपके प्रवचनों को ध्यान पूर्वक सुनने की कोशिश करता हूं, तो प्रवचन के पश्चात में स्मरण क्यों नहीं रख पाता हूं, कि प्रवचन में आपने क्या कहा?
5-मैं आपसे कुछ छोटे-छोटे मजेदार प्रश्न पूछना चाहता हूं, जैसे आप प्रवचन के अंत में लेते है, और आपसे यह सूनना चाहता हूं कि ये प्रश्न धीरेन्द्र का है।
पहला प्रश्न:
एक भिखारी के लिए मैं क्या कर सकता हूं? मैं उसे एक रुपया दूं या न दूर वह तो भिखारी का भिखारी ही रहेगा।