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प्रवचन 70 - खतरे में जीओ
प्रश्न-सार:
1-मेरी अधिक बैचेनी अपने महा-अहंकार को लेकर है,
जो इस झूठे अहंकार पर इतने वर्षों तक निगाह रखता रहा है।
2-भगवान, मैं चाहता हूं कि आप एक-एक ही बार में सदा-सदा के लिए मिटा दें।
3-जब मैं निर्णय लेने का प्रयत्न करता हूं तो चिंतित हो जाता हूं, कि मैं कहीं गलत चुनाव न कर लूं। यह कैसा पागलपन है?
4-ध्यान के दौरान मैं आपकी शून्यता को पुकारता हूं।
क्या इस विधि के दवारा मैं आपके समग्र अस्तित्व को
आत्म सात कर सकता हूं?
पहला प्रश्न:
परितोष ने पूछा है: पूना वापस आने के बाद आपके प्रवचनों को सुनते हुए मै कुछ अशांत अनुभव कर रहा हूं। मुझे ऐसा लगता है कि वस्तुत: मेरा अहंकार अस्तित्व ही नहीं रखता अब मेरी अधिक बैचेनी अपने महा-अहंकार को लेकर है वह भी संभवत: अस्तित्व नही रखता जो इस झूठे अहंकार पर इतने वर्षों तक निगाह रखता रहा है।