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________________ और यदि तुम्हें प्रकृति द्वारा कोई चीज दी जाती है, तो तुम उसका मूल्य नहीं समझ सकते। इसीलिए तुम कोई कृतज्ञता अनुभव नहीं करते। मैंने एक सूफी कहानी सुनी है एक आदमी एक सूफी फकीर के पास आया और कहने लगा, 'मैं निराश हूं और मैं आत्महत्या कर लूंगा। मैं नदी में डूबने जा ही रहा था कि मैंने आपको किनारे पर बैठे हु देखा। मैंने सोचा, क्यों न एक आखिरी कोशिश कर ली जाए! मैं जानना चाहता हूं कि आप क्या कहते हैं।" उस सूफी फकीर ने कहा, तुम इतने निराश क्यों हो?' वह आदमी कहने लगा, 'मेरे पास कुछ नहीं है, इसीलिए मैं निराश हूं - एक पैसा भी नहीं है मेरे पास । मैं संसार का सब से गरीब आदमी हूं और मैं बहुत दुखी हूं। और हर चीज में इतनी मुसीबत है - मैं थक गया हूं। बस मुझे आशीर्वाद दें कि मैं मर सकु क्योंकि मेरी किस्मत इतनी खराब है कि जो कुछ भी मैं करता हूं मैं हमेशा असफल होता हूं। मुझे डर है कि आत्महत्या में भी मैं असफल ही होऊंगा।' सूफी फकीर ने कहा, 'तुम थोड़ा रुको। अगर तुम्हें आत्महत्या करनी ही है और तुम कहते हो तुम्हारे पास कुछ नहीं है, तो बस मुझे एक दिन का समय दो । कल मैं सब संभाल लूंगा।' दूसरे दिन सुबह वह उसे सम्राट के पास ले गया। वह सम्राट शिष्य था सूफी फकीर का वह गया महल में, बात की सम्राट से वापस आया, उस आदमी को सम्राट के पास ले गया और उस आदमी से कहा, 'सम्राट तैयार है तुम्हारी दोनों आंखें खरीदने के लिए और जो भी कीमत तुम मांगो, वह देगा।' उस आदमी ने कहा, 'क्या कह रहे हैं आप? क्या मैं पागल हूं जो अपनी आंखें बेचू ?" सूफी ने कहा, तुमने कहा कि तुम्हारे पास कुछ नहीं है। अब जो भी तुम मांगो, जितनी भी कीमतलाख रुपए, दो लाख रुपए, दस लाख रुपए, करोड़ रुपए - राजा तैयार है आंखें खरीदने के लिए। और अभी कुछ घंटे पहले ही तुम कह रहे थे कि तुम्हारे पास कुछ नहीं है - और तुम आंखें बेचने के लिए तैयार नहीं ? और तुम तो आत्महत्या करने जा रहे थे। और मैंने सम्राट को राजी कर लिया है तुम्हारे कान खरीदने के लिए भी, तुम्हारे दात भी, हाथ, पैर - सब खरीदने के लिए। तुम मांग लो कीमत और हम हर चीज कांट लेंगे और पैसा तुम्हें दे देंगे। तुम संसार के सर्वाधिक धनी व्यक्ति हो जाओगे।' उस आदमी ने कहा, 'मैं तो सोच रहा था कि आप संत - पुरुष हो - आप तो हत्यारे मालूम पड़ते हो!' वह आदमी भाग गया। उसने कहा, 'कौन जाने, अगर मैं महल जाऊं और राजा भी इसी की तरह पागल हो और वे लोग मेरी आंखें निकालने लगे......।' वह भाग गया, लेकिन पहली बार उसे लगा कि कितनी कीमत है आंखों की।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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