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कह रहा हूं वह तुम्हें अपने अंतस में ज्यादा गहरे उतरने की तैयारी ही है। तो यदि तुम कुछ सुनने में चूक जाते हो तो चिंता मत लेना-तुम बाद में टेप से सुन सकते हो। और यदि तुम उसे न भी सुनो, तो कुछ अंतर नहीं पड़ता।
यदि आंखें बंद होती हों, तो बंद हो जाने देना। केवल एक बात याद रखनी है : वह यह है कि सजग रहना। आंखों को बंद हो जाने देना। असल में और ज्यादा सजग हो जाना, क्योंकि जितने ज्यादा तुम गहरे उतरते हो मन में, उतनी ज्यादा सजगता की जरूरत होगी। तुम गहरे डुबकी लगा रहे होते हो चेतना में। लेकिन तुम सो भी सकते हो : तब तुम प्रवचन भी चूक गए और भीतर देखना भी चूक गए। तो व्यर्थ हुआ यहां होना।
'कई बार आपके प्रवचनों के दौरान मैं अपनी आंखें खुली नहीं रख पाता...।'
कोई जरूरत नहीं है। बंद कर लेना आंखें। बस भीतर सजग रहना-ज्यादा सजग रहना।
'... और पता नहीं कहा खो जाता हूं। और फिर एक झटके से वापस लौटता हूं।'
वही है तीसरी अवस्था, 'थीटा'। यदि तुम दूसरी अवस्था में, 'अल्फा' में हो, तो तुम जानते रहोगे कि तुम कहां हो और कोई झटका महसूस नहीं होगा। सरलता से तुम पहली अवस्था से दूसरी तक जा सकते हो,' थीटा' से 'अल्फा' तक बड़ी सरलता से जा सकते हो, क्योंकि अंतर केवल सक्रियता और निष्क्रियता का ही है-तुम सजग रहते हो। लेकिन जब तुम दूसरी से तीसरी अवस्था में जाते हो, तब अंतर बड़ा गहरा होता है। साधारण रूप से अब तुम जा रहे हो जाग्रत अवस्था से निद्रा में। तब यदि तुम वापस लौटते हो, तो तुम एक झटके के साथ लौटते हो और तुम्हें स्मरण नहीं रहता है-इसीलिए तुम नहीं जानते कि तुम कहां रहे।
'कोई स्मृति नहीं रहती कि मैं कहां रहा।'
यदि तुम्हें नींद ही आई होती, तो तुम्हें स्मृति रहती। यदि तुम सपना देख रहे थे, तो तुम्हें स्मृति रहेगी सपने की। यदि तुम सपना नहीं देख रहे थे, तो तुम्हें स्मृति रहेगी कि तुम सोए थे और कोई सपना नहीं आया। या तो विधायक रूप से तुम सपना याद या नकारत्मक रूप से तुम याद रखोगे कि कोई सपना नहीं आया और बहुत गहरी नींद आई; लेकिन यदि वह नींद होती तो तुम्हें याद रहता।
इसीलिए तो सुबह तुम याद रखते हो कि रात बहुत सपने देखे, या किसी दिन तुम कहते हो, 'मैं बहुत गहरी नींद सोया, कोई सपने नहीं देखे।' ये दोनों ही स्मृतियां हैं-एक विधायक है, एक नकारात्मक है। यदि सपने होते हैं, तो विधायक स्मृति होगी-कुछ हो रहा था, कुछ चल रहा था। यदि कोई सपना नहीं देखा तो तुम्हें बस शांतिपूर्ण स्मृति रहेगी कुछ न होने की, कि कुछ नहीं घटा। लेकिन इतना तुम्हें याद रहेगा कि कुछ नहीं घटा और कोई सपना मेरे मन से नहीं गुजरा और नींद सच में ही गहरी थी,