________________ रेचन का, अभिनय कर रहे हो; रेचन हो नहीं रहा है। जब भी तुम अनुभव करते हो कि रेचन हो नहीं रहा है और तुम्हें उसे जबरदस्ती करना पड़ रहा है, तो वह गिर ही चुका होता है। तो तुम्हें अपने हृदय की आवाज को सुनना है। जब तुम क्रोधित होते हो, तो तुम कैसे जानते हो कि कब क्रोध चला गया? जब तुम कामवासना से भरे होते हो, तो कैसे पता चलता है कि अब कामवासना खो गई? क्योंकि उस विचार में अब शक्ति नहीं रहती। विचार हो सकता है मौजूद, लेकिन शक्ति नहीं होती; वह एक रिक्त विचार है। कुछ मिनट पहले तुम क्रोधित थे : अब, तुम्हारा चेहरा शायद अभी भी थोड़ा लाल हो, लेकिन गहरे में तुम जानते हो कि अब क्रोध नहीं है, ऊर्जा जा चुकी है। यदि तुम अपने बच्चे पर क्रोधित हए हो, तो तुम मस्करा नहीं सकते, अन्यथा बच्चा तुमको गलत समझ लेगा। तो तुम दिखावा करते हो कि तुम अभी भी क्रोधित हो; हालांकि अब तो तुम हंसना चाहते हो और तुम बच्चे को गोद में उठा लेना चाहते हो; चूम लेना चाहते हो बच्चे को, प्यार करना चाहते हो बच्चे को। लेकिन तुम अभी भी दिखावा कर रहे होते हो। वरना सारा प्रभाव खो जाएगा-वह तुम्हारा क्रोध-और बच्चा हंसने लगेगा और सोचेगा. यह कुछ था ही नहीं। तो तुम दिखावा जारी रखते हो; मात्र एक मुखौटा, लेकिन गहरे भीतर तो ऊर्जा खो चुकी होती है। ऐसा ही कुछ होगा रेचन के साथ। तुम रेचन कर रहे हो; वह अभी बहुत शक्तिशाली है। बहुत सी दमित भावनाएं होती हैं-उनकी गांठें खुलने लगती हैं, वे ऊपर आने लगती हैं, फूटने लगती हैं। तब बहुत ज्यादा ऊर्जा होती है। तुम चीखते हो-ऊर्जा मौजूद होती है। और चीखने के बाद तुम एक मुक्ति अनुभव करते हो, जैसे कोई बोझ उतर गया। तुम निर्भार अनुभव करते हो। तुम चैन अनुभव करते हो; शांत अनुभव करते हो; विश्राम अनुभव करते हो। लेकिन अगर कोई दमित भाव न हो, तो तुम कर सकते हो ऊपरी चेष्टाएं-उन चेष्टाओं के बाद तुम थकान अनुभव करोगे, क्योंकि तुम व्यर्थ गंवा रहे थे ऊर्जा। कोई दमित भावना थी नहीं, कुछ भी बाहर नहीं आ रहा था और तुम व्यर्थ ही कूद रहे थे और चीख रहे थे; तुम थकान अनुभव करोगे। यदि रेचन प्रामाणिक है, तो तुम उसके बाद एकदम ताजा अनुभव करोगे, यदि रेचन झूठा है, तो तुम थकान अनुभव करोगे। यदि रेचन प्रामाणिक है, तो तुम उसके बाद बहुत जीवंत अनुभव करोगे-पहले से ज्यादा युवा, जैसे कुछ वर्ष कम हो गए हों-तुम तीस के थे, अब तुम अट्ठाइस के या पच्चीस के होते हो। कोई बोझ उतर गया, तुम ज्यादा युवा अनुभव करते हो-ज्यादा जीवंत, ज्यादा ताजा। लेकिन यदि तुम मुद्राएं भर बना रहे हो, तो तुम थकान अनुभव करोगे। तुम तीस साल के थे, तो तुम अनुभव करोगे कि पैंतीस साल के हो। तो तुम्हें देखना होगा। दूसरा और कोई नहीं बता सकता कि तुम्हारे भीतर क्या घट रहा है। तुम्हें देखना होगा। निरंतर देखो कि क्या घट रहा है। दिखावा ही मत किए जाना-क्योंकि रेचन साध्य नहीं है; वह केवल साधन है। एक दिन उसे छोड़ना ही है। उसे ढोए मत रहना। वह नाव की भांति है, उस