________________ 6-पतंजलि के अनुसार ध्यान योग का सातवां चरण है। फिर आप हमें ध्यान में उतरने के लिए क्यों जोर देते है? 7-मैं पिछले जन्मों में अनेक बुद्ध पुरुषों से बचता रहा। अब भय लगता है। कि इस देह के छूटने के कारण कहीं आपका साथ न चूक जाये। पहला प्रश्न: क्या यह बहुत शुभ संकेत है कि पूछने के लिए कोई प्रश्न न रहे? यदि सच में ही ऐसा हो कि तुम्हारे पास पूछने के लिए कोई प्रश्न न रहे, तो यह एक अदभुत घटना है। यह मन की सुंदरतम अवस्थाओं में से एक अवस्था है। क्योंकि जब प्रश्न नहीं होते, तो वह प्रश्न-शून्य चेतना ही सारे प्रश्नों का उत्तर होती है। ऐसा नहीं कि तुम को उत्तर मिल जाते हैं, बल्कि सारे प्रश्न गिर जाते हैं। मन तनावहीन हो जाता है; क्योंकि प्रत्येक प्रश्न एक तनाव है, एक चिंता है, एक बेचैनी है। और कोई भी उत्तर प्रश्न को हल नहीं करेगा। प्रश्न पैदा करने वाला मन समस्या है, प्रश्न नहीं। तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल सकता है, लेकिन उस उत्तर द्वारा तुम्हारा प्रश्न पैदा करने वाला मन और हजारों प्रश्न बना लेगा; तुम हर उत्तर को और- और प्रश्नों में बदल लोगे। इससे कुछ हल नहीं होता। हल तभी होता है, जब सारे प्रश्न गिर जाते हैं, जब चेतना प्रश्नों के पार चली जाती है, तुम समझ लेते हो कि पूछने को कुछ नहीं है, उत्तर पाने को कुछ नहीं है। जीवन एक रहस्य है, समस्या नहीं। तुम उसके बाबत कोई प्रश्न नहीं उठा सकते। तो यदि ऐसा सच में ही हो, तो यह समाधि है। इसी के लिए तो मेरा सारा प्रयास है! तुम्हें उस जगह पहुंच जाना है जहां कोई प्रश्न नहीं उठता। उस मौन में, उस समग्र सुंदरता में, उस शांति में तुम रूपांतरित हो जाते हो : सारी चिंता, सारी पीड़ा मिट जाती है। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या यह स्थिति वास्तविक है? क्योंकि हो सकता है कि तुम प्रश्न पूछ न रहे होओ और प्रश्न भीतर बने रहते हों; तो फिर बेकार है। तब फिर पछ लेना बेहतर है। यदि मन में