________________ और यदि तुम अ-मन की अवस्था को उपलब्ध हो सको तो तुम अपने चारों ओर एक खुला स्थान निर्मित करते हो जो शून्य होता है। उस शून्य आकाश में किसी दिन कोई और बुद्ध हो सकता है। इसीलिए इतना ज्यादा समादर और इतना ज्यादा सम्मान दिया जाता है और इतनी ज्यादा श्रद्धा अर्पित की जाती है संसार के कुछ स्थलों को-मक्का, मदीना या जेरूसलम, या गिरनार, कैलाश। हजारों लोग बुद्ध हुए हैं उन स्थलों से। उन्होंने वहा एक शून्य निर्मित कर दिया है, एक अत्यंत जीवंत शून्य, और वह इतना शक्तिशाली है कि उस शून्य में कोई विचार प्रवेश नहीं कर सकते। यदि तुम कैलाश पर ठीक स्थान ढूंढ सको, और तुम बैठ जाओ वहां, तो तुम अचानक रूपांतरित हो जाओगे-तुम अमन के एक विराट ऊर्जा के बवंडर में होते हो। तुम उसमें नहा जाओगे, स्वच्छ हो जाओगे। ऐसा ही नकारात्मक भाव के साथ घटता है जैसा विधायक भाव के साथ घटता है। तो जब भी तुम कोई नकारात्मक भाव अनुभव करो, तुरंत उसे विधायक भाव में बदल लेना, उसे रूपांतरित कर लेना। मैं नहीं कह रहा हूं कि उसे दबा देना, मैं नहीं कह रहा हूं कि उसका दमन करना-मैं कह रहा हूं कि उसे विपरीत में बदल लेना; उसको मदद देना विपरीत की ओर बढ़ने में। और कुछ कठिन नहीं है यह। व्यक्ति को केवल इस कुशलता को, इस नैक को, जान लेना होता है। आज इतना ही। प्रवचन 50 - ध्यान का स्वाद: योग की उड़ान प्रश्नसार: 1-क्या यह बहत शुभ संकेत है कि पूछने के लिए कोई प्रश्न न रहे? 2-ऐसा कहा जाता है कि मनुष्यता पर महासंकट की घड़ी आती है, तब महाशुभ भी संभव होती। क्या आपके निकट आज हमें वही आज हमें वही अवसर मिल रहा है? 3-गंदी के बुद्धत्व के लिए किया गया प्रयास कैसे झु. हो सकेगा? 4-विकास का वह कौन सा बिंदु है जहां रेचन छोड़ा जा सकता है? 5-पतंजलि के युग के बाद, आज के आदमी ने ऊर्ध्वगमन की, सब्लिमेशनकी क्षमता क्यों खो दी है?