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बारहवां प्रश्न :
कल सुबह आपने योग-उपलब्धि के आठ चरणों पर चर्चा की और जोर दिया कि पहले चरण से आठवें चरण तक उसी क्रम में बढ़ना होता है। क्या किसी व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं कि पहले किन्हीं दूसरी अवस्थाओं तक पहुंचे और फिर अपने क्रम में बड़े उन सभी आठों को पाने के लिए?
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ऐसा संभव है। लेकिन जब मैं कहता हूं संभव है तो मेरा मतलब है : केवल कभी-कभी ही; बहुत
दुर्लभ है बात। प्रत्येक नियम के साथ सदा अपवाद होते हैं, लेकिन जब पतंजलि बोलते हैं, तब वे सामान्य नियम के विषय में बोलते हैं, अपवाद के विषय में नहीं अपवाद के, विशिष्ट के विषय में बोलने की तो जरूरत ही नहीं है। मनुष्यता का वृहत समूह कहीं से किसी और ढंग से नहीं पहुंच सकता। उन्हें बढ़ना होगा चरण-दर-चरण-एक से दूसरे तक दूसरे से तीसरे तक वे एक-एक सीढ़ी चढ़ते हैं। लेकिन ऐसे अनूठे लोग हैं जो छलांग ले सकते हैं- लेकिन फिर उन्हें भी वापस आना होगा और पीछे छूटे हिस्से को पूरा करना होगा। उनका कम भिन्न हो सकता है, वह संभव है।
तुम प्राणायाम से शुरू कर सकते हो, लेकिन फिर तुम्हें आसन तक आना होगा, तुम्हें यम होगा। तुम ध्यान से शुरू कर सकते हो, लेकिन फिर तुम्हें दूसरे हिस्सों को पूरा करना होगा जो पीछे छूट चुके हैं। लेकिन आठों को पूरा करना होता है और आठों के बीच एक समस्वरता को विकसित करना होता है, ताकि तुम एक जीवंत इकाई हो सको ।
ऐसा होता है कई बार कि कोई व्यक्ति सारे चरणों को पूरा किए बिना ही सातवें तक पहुंच जाता है, लेकिन कोई भी सारे चरणों को पूरा किए बिना आठवें तक नहीं पहुंचा है। सातवें तक संभावना हैतुम कुछ चरण छोड़ सकते हो और कुछ को पूरा कर सकते हो और पहुंच सकते हो सातवें तकलेकिन तब तुम वहां अटके रहोगे ध्यान तक तो तुम पहुंच सकते हो, लेकिन समाधि तक नहीं, क्योंकि समाधि को चाहिए तुम्हारी संपूर्ण सत्ता - परिपूर्ण, कुछ भी पीछे न छूटा हुआ, कोई चीज अधूरी न छूटी हुई हर चीज संपूर्ण फिर तुम्हें सातवें पर बहुत देर जाना होगा और वे चरण पूरे करने होंगे जो अधूरे हैं। जब तुमने होती है, केवल तभी आठवां चरण, समाधि, संभव होता है।
अटके रहना पड़ेगा, और तुम्हें वापस
सातवें तक की हर चीज पूरी कर ली
अंतिम प्रश्न :