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नहीं है। बुद्ध के पास अंतर्दृष्टि है। जब बुद्ध जैसा आदमी पैदा होता है तो वह संपूर्णतया जागरूक रूप में पैदा होता है। जब बुद्ध जैसा आदमी गर्भ में होता है, तो वह जागरूक होता है।
ऐसा कैसे होता है, इसे समझ लेना है। जब कोई आदमी संपूर्ण जागरूकता में मरता है, तो उसका अगला जन्म संपूर्णतया सजग होगा। यदि तुम इस जीवन में पूरी सजगता से मर सकते हो, बेहोश नहीं होते, जब कि तम मरते हो, तो तम रहते हो परे होश में, तम देखते हो मत्य की प्रत्येक अवस्था; तुम सुनते हो हर पगध्वनि और तुम पूरी तरह सजग रहते हो कि शरीर मर रहा है; मन तिरोहित हो रहा होता है और तुम पूरी तरह सजग रहते हो -तब अचानक तुम देखते हो कि तुम शरीर में नहीं हो और चैतन्य ने शरीर छोड़ दिया है। तुम देख सकते हो मृत शरीर को वहा पड़े हुए और तुम मंडरा रहे होते हो शरीर के चारों ओर।
यदि तुम सजग हो सकते हो जब तुम मर रहे होते हो, तो यह बात जन्म का एक हिस्सा होती है, एक पहलू। यदि इस एक पहलू में तुम सजग होते हो, तो तुम सजग होओगे जब कि तुम गर्भ में उतरोगे। संभोगरत दंपत्ति के चारों ओर तुम बहोगे और तुम संपूर्णतया जागरूक होओगे। तुम गर्भ में प्रवेश करोगे पूरी तरह जागरूक होकर। बच्चा गर्भ में
है, और उस छोटे –से बीज में, पहले बीज में 'तुम इसके प्रति पूरी तरह जागरूक रहोगे कि क्या घट रहा है। नौ महीने तक मां के गर्भ में तुम सजग रहोगे। न ही केवल तुम सजग रहोगे, बल्कि जब बुद्ध जैसा बालक मा के गर्भ में होता है, तो मा की गुणवत्ता बदल जाती है। वह ज्यादा सजग हो जाती है, एक प्रकाश भीतर प्रज्वलित रहता है। घर में कैसे अंधेरा रह सकता है? मां तुरंत अनुभव करती है चेतना का परिवर्तन।
बुद्ध की मां बनना एक दुर्लभ अवसर है। वह घटना ही रूपांतरित कर देती है मा को। इसके ठीक विपरीत बात सच है सामान्य बालक के लिए वह बंधा होता है मां के शरीर, मन, चेतना द्वारा। वह एक कैद होती है। जब बुद्ध का जन्म होता है, जब बुद्ध की मा गर्भवती होती है तो ठीक विपरीत बात घटती है; मां हिस्सा होती बुद्ध की विशालतर चेतना का। बुद्ध उसे घेरे रहते हैं किसी आभा की भांति। वह स्वप्न देखती है बुद्ध के।
भारत में हमने इन माताओं के स्वप्नों का हिसाब रखा है बुद्ध की मां के, महावीर की मा के, और दूसरे तीर्थंकरों की माताओं के स्वप्न। हमने सचमुच कभी कोई चिंता नहीं की किन्हीं दूसरे स्वप्नों की; हमने केवल विश्लेषण किया है बधों की माताओं के स्वप्नों का। यही है एकमात्र स्वप्नविश्लेषण जो कि हमने किया। यह बात तीसरे प्रकार के मनोविज्ञान का हिस्सा होगी।
जब किसी बुद्ध को उत्पन्न होना होत है, तो मां प्रभावित रहती है किन्हीं विशेष स्वप्नों द्वारा। क्योंकि हजारों बार यही स्वप्न फिर –फिर दोहराए जाते हैं। इसका अर्थ होता है कि मां के भीतर की बुध -चेतना एक निश्चित घटना निर्मित करती है उसके मन में और वह स्वप्न देखने लगती है एक विशेष आयाम के। उदाहरण के लिए बौद्ध कहते हैं कि जब कोई बुद्ध मां के भीतर होता है, तो