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दूसरा प्रश्न :
आप चेतना के शिखर पर हैं आप उत्सव मना सकते हैं आप उत्सव मना रहे हैं। लेकिन एक साधारण आदमी कैसे आपके साथ हिस्सा ले सकता है उत्सव में?
कोड
साधारण नहीं है। किसने कहां तुमसे कि तुम साधारण हो? कहां से पायी है तुमने यह
अवधारणा कि तुम साधारण हो ? हर कोई असाधारण है! ऐसा होना ही चाहिए। परमात्मा कभी भी साधारण आदमी निर्मित नहीं करता है। परमात्मा कैसे बना सकता है साधारण आदमी ? हर कोई विशिष्ट है, असाधारण है। लेकिन ध्यान रहे, इससे पोषित मत कर लेना तुम्हारे अहंकार को यह तुम पर निर्भर नहीं करता कि तुम असाधारण हो, यह बात परमात्मा की ओर से है।
तुम आते हो समग्र में से, तुम समय में बद्धमूल रहते हो तुम तिरोहित हो जाते हो समग्र में- और समग्र असाधारण है, अद्वितीय है। तुम भी अद्वितीय हो । लेकिन सभी धर्मों ने कोशिश की है कि तुम साधारण अनुभव करो यह एक तरकीब है तुम्हारे अहंकार को उकसाने की। इसे समझने की कोशिश करना: जिस क्षण कोई कहता है कि तुम साधारण हो, वह तुम में आकांक्षा निर्मित करता है असाधारण होने की, क्योंकि तुम हीनता अनुभव करना शुरू कर देते हो।
अभी उस दिन एक आदमी यहां था और वह पूछने लगा कि 'जीवन का उद्देश्य क्या है? जब तक कि मेरे लिए कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता, कैसे मैं जी सकता हूं? यदि कोई विशेष उद्देश्य है, तो जीवन महत्वपूर्ण है। यदि कोई विशेष उद्देश्य नहीं है, तो जीवन अर्थहीन है।' वह पूछ रहा था, 'कौन से खास उद्देश्य से परमात्मा ने मुझे बनाया है? संसार में मुझे क्या करने को भेजा गया है?' यह है अहंकार का प्रश्न। वह साधारण अनुभव करता है - कुछ विशिष्ट नहीं । ' तो कैसे कोई जी सकता है ?'
तुम्हें अहंकारों का शिखर होना होता है, केवल तभी जीवन अर्थपूर्ण मालूम पड़ता है। जीवन अर्थपूर्ण है, और उसमें कोई उद्देश्य नहीं होता। वह तो उद्देश्यहीन अर्थ होता है, गीत की भांति, या नृत्य की भांति; फूल की भाति, एकदम बिना किसी उद्देश्य के वह खिल रहा होता है, किसी विशेष के लिए नहीं खिल रहा होता वह। यदि कोई सड़क पर से गुजरता भी न हो, फूल तो खिलेगा ही, सुगंध फैल जाएगी हवाओं में। यदि कोई कभी सूंघने भी न आए उसे, वह बात, तो अप्रासंगिक होती है। वह खिलना ही अर्थपूर्ण है, कोई उद्देश्य नहीं ।
लेकिन तुम्हें तो सिखाया गया है कि 'तुम साधारण हो । बड़े कवि बनो, बड़े चित्रकार बनो, जनता के बड़े नेता बनो, बड़े राजनेता बनो, बन जाओ बडे संत' जैसे तुम हो, सारे धर्म निंदा करते हैं