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भी यह तो निश्चित नहीं कि सभी को पीना होगा। कुछ दूर चले जाएंगे। हो सकता है यह उनके लिए सही समय न हो और जब सही समय न हो तो किसी को मदद नहीं मिल सकती। हर चीज अपने समय से घटती है।
कई को मदद नहीं मिल सकती क्योंकि वे बंद हैं। और तुम जबर्दस्ती नहीं कर सकते, और तुम आक्रामक नहीं हो सकते। आध्यात्मिक घटना घटती है एक गहन निष्क्रियता में। जब शिष्य निष्किय होता है। केवल तभी वह घटती है। यदि मैं पाता हूं कि तुम बहुत सक्रिय हो तुम्हारी ओर से या कि मैं पाता हूं कि तुम बहुत बंद हो या कि मैं पाता हूं कि यह सही समय नहीं है तुम्हारे लिए, तो सबसे अच्छा जो घट सकता है वह यह कि तुम मुझसे दूर चले जाओ, क्योंकि वरना तो तुम केवल बरबाद ही करोगे अपना समय-मेरा नहीं, क्योंकि मेरा कोई समय नहीं, तुम मात्र बरबाद करोगे अपना समय।
इस बीच में, तुम्हारा ध्यान भंग होता रहा है। तुम्हें रहना चाहिए था संसार में किसी दूसरी जगह, किसी बाजार में। तुम्हें कहीं और होना चाहिए था, क्योंकि वहां घट गई होती तुम्हारी प्रौढ़ता। यहां तो तुम व्यर्थ कर रहे हो अपना समय। यदि तुम्हारे लिए यह सही समय नहीं है तो बेहतर है कि तुम दूर चले जाओ। कुछ और देर को तुम्हें संसार में घूमते रहना है। तुम्हें कुछ और देर पीड़ा में से गुजरना है। तुम अभी तैयार न हुए, अभी पके नहीं, और पकना ही सब कुछ है, क्योंकि गुरु कुछ कर नहीं सकता। वह कर्ता नहीं है। यदि तुम पके हुए हो और गुरु मौजूद है तो समग्रता में से कुछ प्रवाहित हो जाता है गुरु के द्वारा और पहुंच जाता है तुम तक और पका फल गिर पड़ता है धरती पर। लेकिन कच्चा फल नहीं गिरेगा, और यह अच्छा है कि वह न गिरे।
तो जब मैं कहता हूं कि मैं विरोधात्मक हूं, तो मेरा मतलब होता है कि एक निश्चित प्रकार की स्थिति सदा निर्मित हुई होती है, मेरे द्वारा नहीं, बल्कि संपूर्ण द्वारा, मुझमें से होकर।
इसलिए लोग जो तैयार नहीं हैं, उन्हें किसी भी तरह समय व्यर्थ नहीं करने देना चाहिए। उन्हें जाना होगा और पाठ सीखना होगा, उन्हें गुजरना होगा जीवन की पीड़ाओं में से, एक निश्चित प्रौढ़ता उपलब्ध
होगी, और फिर आना होगा मेरे पास। हो सकता मैं यहां न रहं तो भी तब कोई और होगा यहां। क्योंकि यह मेरा या किसी दूसरे का सवाल नहीं है; सारे बुद्ध-पुरुष एक जैसे ही हैं। यदि मैं यहां नहीं होता हं, यदि यह शरीर यहां नहीं होता है, तो कोई और शरीर कार्य कर रहा होगा समग्रता के लिए, इसलिए कोई जल्दी नहीं है। अस्तित्व प्रतीक्षा कर सकता है अनंतकाल तक, लेकिन कच्चे हो, तो तुम्हारी मदद नहीं की जा सकती है।
ऐसे शिक्षक हैं-उन्हें मैं गुरु नहीं कहता हूं क्योंकि वे जागे हुए नहीं हैं, वे शिक्षक हैं-जो कच्चे व्यक्ति को भी दूर नहीं जाने देंगे। वे हर प्रकार की स्थितियां निर्मित कर देंगे जिससे कोई व्यक्ति भाग नहीं सकता है। वे खतरनाक हैं क्योंकि यदि व्यक्ति पका नहीं होता, तो वे भटका रहे होते हैं व्यक्ति को।