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वितान को ऐसा होना ही होता है। विज्ञान समझौता नहीं कर सकता, वरना वह स्वयं तथाकथित धर्म बन जायेगा ।
पतंजलि न तो नास्तिक हैं और न ही आस्तिक वे न तो हिंदू है न मुसलमान, न ईसाई हैं न जैन और न ही बौद्ध। वे एक बिलकुल वैज्ञानिक खोजी हैं। बस उद्घाटित कर रहे हैं -जैसी भी बात है; उद्घाटित कर रहे हैं बिना किसी पौराणिकता के। वे एक भी दृष्टांतमयी कथा का प्रयोग नहीं क्योंकि तुम बच्चे हो और तुम केवल कहानियां समझ और बुद्ध इतनी सारी कहानियों का उपयोग करते हैं मदद करने के लिए।
करेंगे। जीसस कथाओं द्वारा बोलते जायेंगे सकते हो वे कथाओं के सहारे बात कहेंगे केवल एक हलकी-सी झलक पाने में तुम्हारी
मैं पढ़ रहा था एक हसीद, एक यहूदी गुरु बालशेम के बारे में वह रबाई था एक छोटे से गांव में, और जब कभी कोई विपत्ति आती, कोई रोग, कोई संकट गांव में फैलता, वह जंगल में चला जाता। वह एक निश्चित स्थान पर, निश्चित वृक्ष के नीचे जाता। वहां वह धार्मिक कर्मकांड संपन्न करता और फिर उसके बाद परमात्मा से प्रार्थना करता । और ऐसा हमेशा ही हुआ कि विपत्ति गांव छोड़ गयी, महामारी गांव से गायब हो गयी, आपदा चली गयी।
फिर बालशेम मर गया। उसका एक उत्तराधिकारी था और समस्या फिर आयी। वह गांव मुसीबत में था। कोई संकट आ पड़ा था और गांव के लोगों ने उस उत्तराधिकारी, उस नये रबाई से जंगल में जाकर प्रार्थना करने के लिए कहा। वह नया रबाई बहुत घबड़ा गया क्योंकि सही स्थान और उस वृक्ष का उसे पता नहीं था। वह परिचित न था। लेकिन फिर भी वह किसी एक पुराने वृक्ष के नीचे चला गया। उसने आग जलाई, कर्मकांड संपन्न किये और प्रार्थना की। उसने परमात्मा से कहा, 'देखो, मुझे उस स्थान का कुछ पता नहीं जहां मेरे गुरु जाया करते थे लेकिन आप जानते हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं, आप सर्वव्यापी हैं, इसलिए आप जानते ही हैं और सुनिश्चित स्थान को खोजने की आवश्यकता नहीं है। मेरा गांव मुसीबत में है इसलिए सुनिए और कुछ कीजिए।' वह विपत्ति दूर हो
गयी।
फिर जब यह रबाई भी मर गया और उसका उत्तराधिकारी वहां था, तब फिर एक समस्या आ खड़ी हुई। वह गांव एक निश्चित संकट स्थिति में से गुजर रहा था और फिर गांव वाले चले आये। वह रबाई घबड़ा गया। वह प्रार्थना तक भूल चुका था। वह जंगल में गया और यों ही कोई स्थान चुन लिया। वह नहीं जानता था कि विधि के अनुसार अग्रि कैसे जलायी जाती है, लेकिन किसी तरह उसने आग जलायी और कहने लगा परमात्मा से 'सुनो, मैं नहीं जानता कि विधि के अनुसार अग्रि कैसे
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जलायी जाती है। वह सही स्थान मुझे मालूम नहीं और मैं वह प्रार्थना भूल गया हूं। लेकिन आप सर्वज्ञ है इसलिए आप जानते ही हैं, इसकी कोई आवश्यकता नहीं। इसलिए जो जरूरी है वह कर दें।' वह वापस आ गया और गांव संकट को पार कर गया ।