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अब हमें सूत्र में प्रवेश करना चाहिए। मन की समाप्ति योग है, लेकिन मन और उसकी वृतियां कैसे समाप्त हो?
इनकी समाप्ति सतत आंतरिक अभ्यास और वैराग्य द्वारा लायी जाती है।
दो तरीके है जिससे कि मन अपनी सारी वृत्तियों सहित समाप्त हो सकता है। एक तो —' अभ्यास', सतत आंतरिक अभ्यास; और दूसरा - वैराग्य । वैराग्य स्थिति का निर्माण करेगा और सतत अभ्यास एक विधि है उस स्थिति में प्रयुक्त होने की दोनों को समझने की कोशिश करो।
जो कुछ तुम करते हो, तुम करते हो क्योंकि तुम्हारी निश्चित इच्छाएं हैं वे इच्छाएं पूरी की जा सकती हैं कुछ निश्चित बातें करने से ही तो जब तक वे इच्छाएं नहीं गिरा दी जातीं, तुम्हारे क्रियाकलाप नहीं गिराये जा सकते. तुम्हारी कुछ लागत लगी है उन क्रियाओं में, उन कार्यों में मनुष्य चरित्र और मन की एक दुविधा यह है कि तुम निश्चित क्रियाओं को रोकना चाह सकते हो क्योंकि वे तुम्हें दुख की ओर ले जाती है।
लेकिन तुम उन्हें क्यों करते हो? तुम उन्हें करते हो क्योंकि तुम्हारी कुछ निश्चित इच्छाएं हैं और उन्हें किये बिना ये इच्छाएं पूरी की नहीं जा सकतीं तो ये दो चीजें हैं। एक तुम्हें कुछ निश्चित चीजें करनी पड़ती हैं। उदाहरण के तौर पर - क्रोध । तुम क्यों क्रोधित हो जाते हो? तुम तब क्रोधित होते हो जब कहीं, किसी तरह कोई तुम्हारे लिए बाधा निर्मित कर देता है। तुम्हारी इच्छा बाधित हो जाती है, तो तुम्हें क्रोध आ जाता है।
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तुम चीजों पर भी क्रोध करते हो। अगर तुम चल रहे होते हो, और तुम फौरन कहीं पहुंचने की कोशिश कर रहे होते हो, और एक कुर्सी तुम्हारे रास्ते में आ जाती है, तो तुम्हें कुर्सी पर क्रोध आ जाता है। अगर तुम दरवाजे का ताला खोलने की कोशिश करते हो और चाबी काम नहीं दे रही है, तो तुम्हें दरवाजे पर क्रोध आ जाता है। यह पागलपन है, क्योंकि चीजों के साथ क्रोध करना निरर्थक है। लेकिन कोई भी चीज जो किसी प्रकार की रुकावट बनाती है, क्रोध निर्मित करती है।
तुम्हारी आकांक्षा है कहीं पहुंचने की कुछ करने की कुछ पाने की जो कोई तुम्हारी इच्छा और तुम्हारे बीच आता है, तुम्हें अपना दुश्मन लगता है। तुम उसे नष्ट करना चाहते हो। यही है क्रोध का मतलब कि तुम बाधाओं को नष्ट कर देना चाहते हो। लेकिन क्रोध दुख तक ले जाता है, क्रोध एक रोग बन जाता है। इसलिए तुम चाहते हो क्रोधित न होना ।
तुम क्रोध कैसे गिरा सकते हो अगर तुम्हारे पास इच्छाएं और उद्देश्य हैं? अगर तुममें इच्छाएं और उद्देश्य हैं तो तुममें क्रोध होगा ही, क्योंकि जीवन जटिल है। तुम यहां इस पृथ्वी पर