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यह है अनुमान यह प्रत्यक्ष बोध नहीं है। यह युक्तियुक्त तर्क द्वारा होता है। लेकिन यह एक परछाईं देता है; यह एक झलक देता है, यह तुम्हें एक संभावना देता है, एक द्वार तो देकार्त के पास चट्टान थी, और इस चट्टान पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जा सकता था। एक असंदिग्ध तथ्य के साथ तुम परम सत्य तक पहुंच सकते हो। लेकिन यदि तुम किसी संदेहपूर्ण चीज के साथ आरंभ करो, तो तुम कहीं नहीं पहुंचोगे। नींव में ही संदेह मौजूद रहेगा।
पतंजलि कहते हैं, अनुमान दूसरा स्रोत है सम्यक ज्ञान का सम्यक तर्क, सम्यक संदेह, सम्यक युक्ति, तुम्हें कुछ ऐसी चीज दे सकते हैं जो वास्तविक ज्ञान की ओर जाने में तुम्हारी मदद कर सकती है। यही चीज है जिन्हें वे कहते हैं अनुमान। तुमने प्रत्यक्ष तौर पर नहीं देखा है, लेकिन हर चीजें सिद्ध करती हैं कि यह ऐसा ही होना चाहिए । परिस्थितिजनक प्रमाण मिल जाते हैं कि यह उसी तरह ही होना चाहिए ।
उदाहरण के लिए, तुम इस विराट सृष्टि में चारों ओर खोजते हो, हो सकता है तुम कल्पना न कर पाओ कि ईश्वर वहां है, लेकिन तुम इसका खंडन नहीं कर सकते हो। सामान्य अनुमान द्वारा भी तुम खंडन नहीं कर सकते इसका कि सारा जगत एक व्यवस्था है, एक सुसंगत जोड़ है, एक उद्देश्यात्मक स्वप्न है। इसका खंडन नहीं किया जा सकता। वह स्वप्नरेखा इतनी स्पष्ट है कि विज्ञान भी इसका खंडन नहीं कर सकता। बल्कि इसके विपरीत, विज्ञान अधिक से अधिक स्वप्नरेखाएं ज्यादा से ज्यादा नियम खोजता चला जाता है।
यदि यह जगत मात्र एक संयोग है, तो विज्ञान असंभव है। लेकिन जगत संयोग जैसा नहीं लगता है। यह आयोजित किया हुआ जान पड़ता है। और यह निश्चित नियमों के अनुसार चल रहा है, जो नियम कभी नहीं टूटते है।
पतंजलि कहेंगे कि सृष्टि की संरचना को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। और यदि तुम एक बार अनुभव कर लेते हो कि सृजन वहां है, तब सृजनकर्ता प्रवेश कर चुका होता है। लेकिन यह अनुमान है। तुमने प्रत्यक्ष स्वप्न से उसे नहीं जाना है तुमने केवल सृष्टि की इस स्वप्नरेखा को जाना है, योजना को नियमों को व्यवस्था को जाना है और व्यवस्था बहुत भव्य है। यह बहुत सूक्ष्म है, बहुत भव्य, बहुत असीम है एक सुव्यवस्था है वहां, हर चीज व्यवस्थाबद्ध स्वप्न से मर्मर ध्वनि कर रही है। सारे ब्रह्मांड में एक संगीतपूर्ण लयबद्धता है कोई पीछे छिपा हुआ प्रतीत होता है। लेकिन यह अनुमान है।
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पतंजलि कहते हैं कि अनुमान भी मदद कर सकता है सम्यक ज्ञान की तरफ जाने में, लेकिन वह सम्यक अनुमान होना चाहिए । तर्क खतरनाक है। वह दुधारा होता है। तुम तर्क को गलत ढंग से प्रयोग कर सकते हो, और तब भी तुम किसी निष्पति पर पहुंचोगे ।