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त्याग, भोग,
विनोबाजी ने जीवन का एक फारमूला (सूत्र) प्रस्तुत किया है'त्याग, भोग,'। इस युग का मनुष्य फारमूलो का आदी है। बीजगणित
और त्रिग्नोमेटरी, भौतिक और रसायनशास्त्र जैसे विज्ञान-विषयों का विद्यार्थी तो फारमूलो के बिना एक कदम नहीं चल सकता। रोजमर्रा के जीवन मे भी हमे फारमूला समझने और उसी के सहारे आगे बढ़ने का अभ्यास हो गया है। दवाई के हर पैकेट पर उसका फारमूला लिखा जाता है--जिन अवयवो (कम्पोनेण्ट्स) से वह बनी है, उसकी घोषणा करना अनिवार्य है। एक दवाई ही क्यो, कमोवेशी, हमे अपने दैनिक उपयोग के लगभग सभी पदार्थों के अवयवो का पता चल जाता है। माध्यमिक शाला का विद्यार्थी 'एच टू ओ' कहते ही समझ जाता है कि बात पानी की है। दो हिस्सा हायड्रोजन और एक हिस्सा ऑक्सीजन मिलाकर हमारा प्राण-तत्व पानी बनता है। न केवल हायड्रोजन से काम चलेगा, न केवल ऑक्सीजन से। दो-एक के अनुपात मे दोनो मिलेंगे तभी हमारे हाथ पानी
जीवन मे?