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हिंसा उभरेगी। मुझे आपका सत्य समझना होगा और आपको मेरा। यह ऐसी ऊर्जा है जिसने मनुष्य को प्रेम सिखाया है, करुणा दी है, सम्पूर्ण सृष्टि के साथ समरस होने का पराक्रम दिया है । इस तत्त्व ने मनुष्य को जोडा है-टूटने से बचाया है। जरा और गहरे जाइये सापेक्षता ने मनुष्य को दुराग्रहो बनने से रोका है, सापेक्षता ने उसके अहकार को तोडा है, सापेक्षता उसे हिंसा से बचाती है, उसके क्रोध को रोकती है। मैने जो देखा और कहा उसे सुनकर आप उबल पडते हैं, लेकिन सापेक्षता कहती हैठहरो स्थात्' ऐसा भी है, समझो तो। यह सहिष्णुता है, सवेदना है, मनुष्य का ऐमा करुणा रस है जो यदि सबके हाथ लगे तो हमारी यह सृष्टि बहुत सुबो और सपन्न हो जाए ।
__ आज हम जिस समानता, भाईचारे, शान्ति, सहयोग जोर शोल की बात कर रहे हैं वह अनेकान्त के बिना हाथ नहीं आने की। आइन्स्टीन ने सापेक्षता के सिद्धान्त से जिस ऊर्जा-शक्ति को प्रकट विग, मनुष्य को जिस अणुशक्ति का मालिक बनाया, उसे नभ तक उछालकर चाद और तारे तोड लाने का हौसला दिया, उसी मनुष्य को अपने चिन्तन में, व्यवहार मे, रोजमर्रा के जीवन में, महावीर का अनेकान्त साधना होगा। आइन्स्टीन की मापेक्षता और महावीर का अनेकान्त एक ही सिक्के की दो बाजुएँ हैं। एक ने मनुष्य को विज्ञान की शक्ति दी है और दूसरे ने उसे अध्यात्म की दृष्टि दी है। इसे पाकर हम समृद्ध हुए हैं-जीकर सुखी हो सकते हैं ।
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