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सम्यक् आजीविका भिक्षुओ, सम्यक् आजीविका क्या है?
भिक्षुओ, आर्य-श्रावक मिथ्या-आजीविका को छोड कर, सम्यक् आजी- दी २२ -विका से रोजी कमाता है । यही सम्यक् आजीविका है।
भिक्षुओ, उपासक को चाहिये कि वह इन पाच व्यापारो मे से किसी एक अ. ५ को भी न करे। कौन से पाँच ? शस्त्रो का व्यापार, जानवरो का व्यापार, मास का व्यापार, मद्य का व्यापार, तथा विप का व्यापार।
सम्यक् व्यायाम (=प्रयत्न) भिक्षुओ, चार प्रकार के प्रयत्न सम्यक् प्रयत्न है। कौन से चार? अ. ४ सयम-प्रयत्न, प्रहाण-प्रयत्न, भावना-प्रयत्न तथा अनुरक्षण-प्रयत्न।।
भिक्षुओ, सयम-प्रयत्न क्या है? एक भिक्षु प्रयत्न करता है, जोर लगाता है, मन को काबू मे रखता है कि कोई अकुशल, पापमय ख्याल जो अभी तक उसके मन में नहीं है, उत्पन्न न हो।
वह अपनी आँख से किसी सुन्दर रूप को देखता है, (लेकिन) उसमे न ऑख गडाता है न मजा लेता है। क्योकि कही चक्षु के असयम से लोभ