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जिसका सिर गजा हो गया हो, जिसके मुंह पर झुर्रियाँ तथा शरीर पर धब्बे पड़ गए हो? यदि देखते हो, तो क्या तुम्हारे मन मे यह कभी नहीं होता कि मुझे भी वुढापा आ सकता है ? मै भी अभी बूढेपन का शिकार हो सकता हूँ? __ क्या तुम कभी किसी ऐसे स्त्री या पुरुप को नही देखते, जो पीडित हो, दुखी हो, अत्यन्त रोगी हो, अपने पेशाव-पाखाने मे गिरा हो, जिसे दूसरे उठाकर विठाते हो, दूसरे लिटाते हो? यदि देखते हो, तो क्या तुम्हारे मन मे यह कभी नही होता कि मैं भी बीमार पड़ सकता हूँ? मै भी अभी वीमारी का शिकार हो सकता हूँ। ___ क्या तुम कभी किसी ऐसे स्त्री या पुस्प को नहीं देखते, जिसे मरे एक दिन हुआ हो, दो दिन हुए हो, अथवा तीन दिन हो गए हो, जिसका वदन सूज गया हो, नीला पड़ गया हो, जिसके वदन मे पीप पड गई हो? यदि देखते हो, तो क्या तुम्हारे मन में यह कभी नही होता कि मै भी मरने वाला हूँ? मै भी मृत्यु का शिकार हो सकता है?
भिक्षुओ। ससार अनादि है। अविद्या और तष्णा मे सचालित, स. १४ भटकते फिरते प्राणियो के आरम्भ (=पूर्वकोटि) का पता नही चलता।
तो भिक्षुओ, क्या समझते हो, यह जो चारो महासमुद्रो मे पानी है, यह अधिक है अथवा यह जो इस ससार मे वार वार जन्म लेने वालो ने प्रिय के वियोग और अप्रिय के सयोग के कारण रो-पीट कर ऑसू • बहाये है?
भिक्षुओ, चिर-काल तक,माता के मरने का दुख सहा है, पिता के मरने का दुख सहा है, पुत्र के मरने का दु ख महा है, लडकी के मरने का दुस सहा है, रिश्तेदारो के मरने का दुख सहा है, सम्पत्ति के विनाश का दुख सहा है, रोगी होने का दुख सहा है, उन माता के मरने का दुःख सहने गालो ने, पिता के मरने का दुख सहने वालो ने, पुत्र के मरने का दुःख सहने वालो ने, लड़की के मरने का दुःख सहने वालो ने, रिश्तेदारो के मरने का दुख