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- २ - ___ मै उम धर्म को जान गया, यह गम्भीर है, दुप्फरता ने दियाई देने वाला है, सूक्ष्मता मे ममन मे आने वाला है, गान्त है, प्रणीत है, (केवर) तर्क मे अगम्य है, निपुण है और पडित-जनो द्वारा ही जाना जा सकता है।
लोग जासक्ति मे पडे है, आमत में रत है, आमक्ति में प्रमन्न है। उन आमक्ति मे पटे, आमक्ति में रत, आगस्ति में प्रमन्न लोगो के लिये यह बहुत कठिन है कि यह कार्य-कारण सम्बन्धी प्रतीत्यसमुत्पाद के नियम को समझ सके और उनके लिए यह भी बहुत कठिन है कि यह सभी मम्कागे के गमन, सभी चित्त-मली के त्याग, तृष्णा के क्षय, विगग-स्वस्प, निरोधस्वस्प निर्वाण को प्राप्त कर सके।
ऐमे भी प्राणी है जिन के त्रित पर थोटा ही मैल है, वे यदि धर्मोपदेश न सुनेगे तो विनाश को प्राप्त होगे।
वे लोग धर्म के समजने वाले होगे।