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________________ [ २८ ] मंत्र-ॐ हीं अहं परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञानशक्तये, जन्म - जरा - मृत्यु निवारणाय, श्रीमज्जिनेन्द्राय, पुष्पं. यजामहे स्वाहा। उपरोक्त काव्य तथा मंत्र पढ़कर, प्रभु चरणों में पुष्प चढ़ावे । ॥ चतुर्थी धूप पूजा ४ ॥ ॥ ॐ नमोऽहत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः ॥ • सकल कर्म महेन्धन दाहनं, विमल संवर भाव सुधूपनम् । अशुभ पुद्गल सङ्गविवर्जितं, जिनपतेः पुरतोऽस्तु सुहर्पतः ॥४॥ ' मंत्र-ॐ ही अर्ह परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञानशक्तये, जन्म-जरा - मृत्यु - निवारणाय, श्रीमज्जिनेन्द्राय, धूपं यजामहे स्वाहा। उपरोक्त काव्य तथा मंत्र पढ़कर, प्रभु प्रतिमा के सामने धूप खेवे। ॥ पंचमी दीपक पूजा ५॥ ॥ ॐ नमोऽहत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः ॥ भविक निर्मल बोधविकासकं, जिनगृहे शुभ दीपक दीपनम् । सुगुण राग विशुद्ध समन्वितं, दधतुभाव विकास कृते जनाः॥ ॐ हीं अहं परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये,
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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