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[२६ ] जन्म महोत्सव इणपरे, श्रावक रुचिवन्त । श्रावकरुचि० । विरचे जिनप्रतिमातणो, अनुमोदन खन्त । अनुमोदन० ३॥ "देवचन्द" जिन पूजना, करताँ भव पार | करताँभव० । जिन पडिमा जिन सारखी, कही सूत्र मझार । कही सूत्र०४
॥इम पूजा भगते करो० ॥
उपरोक्त ढाल, सोहम सुरपति गाते हुए भगवान को अच्छी तरह से प्रक्षालन करावें। बाद में तीन अंगलहणों से प्रतिमाजी को पोंछकर केशर चन्दन स्वस्तिक युक्त सिहासन में विराजमान करे।
॥ अथ अष्टप्रकारी पूजा ॥
॥ प्रथमा जल पूजा ॥ १ ॥ नमोऽहत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः । विमल केवल भासन भास्कर, जगति जन्तु महोदय कारणम् । जिनवरं बहुमान जलोपतः, शुचि मनः स्नपयामि विशुद्धये।१