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श्री शांतिनाथ पंचकल्याणक पूजा वीस धानक सेनी मेघरथने तीर्थकर पद सारारे । निकाचितपने प्राप्त किया शुभ आनद मंगलकारारे ॥ चि० ||६|| सखारथ सिद्ध उपने दोनों मुनि अनशन निरधारारे । आतम लक्ष्मी हर्प अनुपम वल्लभ जय जयकारारे ॥ चि० ॥ ७ ॥
॥ दोहा ॥ भरत क्षेत्र कुरु देश में, गजपुर नगर सुठाम । विश्वसेन नृप घर सती, अचिरा राणी नाम ॥१॥ एक दिवस पुण्य योगसे, राणी आधी रात 1 सुखशय्यामे देखती, चउद सुपन महा जात ॥२॥ भादरसा वदि सातमे, शशि भरणीके योग | ससारथ सिद्धसे च्यवी, आयु पूरण भोग ॥३॥ जीव मेवरथ जानिये, अचिरा उदरे आय । पुत्रपने पैदा हुआ, पूरण पुण्य जागी अचिरा सुपनको याद करी राजा पासे जायके, सुन्दर वचन उचार ||५||
क्रमवार ।
पसाय ॥४॥
(तर्ज- आशायरी नृपभ प्रभु भनजउ पार उतार ) सुपन फल कहिये नाथ विचार सुपन० ॥ जंचली ॥ पाधि व्याधि गोच फिकर नहीं, नहीं है तनमें विकार |