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बारह व्रत पूजा
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॥ द्वितीय प्राणातिपात विरमणव्रत चंदन केशर विलेपन पूजा ॥ || STET ||
प्राणातिपात विरमण व्रते, छंडो जंतु विनाश | इणसु शिवसुख ना मिले, हिंसा दोष विलास | ॥ उल्लालो ॥
तिहां दर्शनाण सुचरण अणसण | धीर वीरज जानिये । तप इम सकलाना सिद्धि गज-वसु, पणतिवार सुठानिये || अतिचार चार निवार इणपर, तुर्य गुणपद मानिये । गुण पंचमो तिमथूल प्रत्याख्यान मान वखाणिये ॥ १ ॥ ॥ राग चरखो ॥
(तर्ज- हम छाड चले बन माघो, राधा ) भविजन जीवदया व्रत धारो, सम परिणाम संभारो रे ॥ भ० || ढेर || अपराधी पिण जीव न हणिये, मासे जगदाधारो रे । देशविरतधर ने पिण भाख्यो, विन अपराध न मारो रे || म० ॥ १ ॥ - गो गज सेंधव महिसादिकने, बंधन वध न विचारो रे । कीजे न अवयन छेद निकाले, जलचारो न विसारो रे | ॥ भ० ॥ २ ॥ कोडी
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