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वीसस्थानक पूजा आराधी प्रवचन चरणं । करम निकदि थया जगदीसर, जिनप रमा उर आभरण || प्र० ॥ ८ ॥
॥ काव्य ॥ अणंत संसुद्ध गुणायरस्स, दुखसंधयारुग्गदिवायरस्स । अणंतजीवाण दयागिहस्स, णमो णमो सघ चउब्विहस्स ॥१॥ ॐ ही श्रीप्रवचनाय नमः अष्टद्रव्य यजामहे स्वाहा ॥३॥ ॥ चतुर्थ भाचार्य पद पूजा ॥
॥ दोहा ॥ पद चतुर्थ नमिये सदा, सूरीसर महाराज । सोहम जवू सारिसा, सकल साधु सिरताज ॥ सारण वारण चोयणा, पडिचोयण करतार । प्रवचनकज विरुपायवा, सइस किरण अवतार ।।
॥ राग रामगिरी ॥ (तर्ज-गान लूटे मनरंग सुरे वाला) आचारिज पद ध्याइयेरे पाला, तास विमल गुण गाइये। पाइये, हाहो रे वाला पाइये। जिनपति पद जगशिर तिलो रे || आ० ॥१॥ जिन शासन उननालता रे वाला, सकलजोर प्रतिपालता || पालता हा० ॥ पालता चरण करण मग चालवां रे ॥ आ० ॥२॥ सूरि सफल