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श्री सुगुणचन्द्रोपाध्याय कृत
॥ पंचपरमेष्ठी-पूजा ॥
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|| प्रथम अरिहंतपद पूजा || ॥ दोहा ॥ ॐकार बीज आदे नमू, गीर्वाणी सुखदाय | तु तूठी पंडित करे, पूजे सुरनर राय ॥ ॐ नमो गुरुदेवकुं, भाषा सरस चनाय | पाहणथी पल्लव करे, उपगारी सिर राय || प्रथम नमू अरिहंतजी, दूजा सिद्ध अनंत | तीजा सूरि सदा नमू, उपगारो भगवन्त ॥ बलि उवझाया चंदिये, गुण पचवीस प्रधान । द्वादश अंग प्ररूपता, नहीं विकथा नहीं मान ॥ पंचम पद सुनिराजनो, वंदो भवि इकतार । -गुण सत्तावीस सोभता, करुणा रस भंडार ॥