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(८२) खी शकशे ? अर्थात् नहि नांखी शके. तमारा कहेवा प्रमाणे जीव तो तेमां पण छे पण शरीरना बलनी खामीथी नांखी शकतो नथी. वास्ते शरीरं छे ते ज छे. बीजें कंइ नथी.
केशी महाराजे उत्तर कस्यो जे–कोइ जवान पुरुष छे, वली बलवान छे पण तेनी पासे जूनी कावड छे तो ते कावडमां भार उठावी शकशे ? अर्थात् नहि उठावी शके. कारण जे कावड भागी जाय तेम जीवनी साथे शरीरनो संबंध छे ते शरीर निर्बल छे, बाल अवस्था छे, तेथी बाण मारी शकतो नथी.
परदेशी राजए प्रश्न कर्यु जे-एक चोरने में जीवतां तोल्यो, ने ते ज माणसने शस्त्र विना मारी नांख्यो, ने में फरी तोल्यो तो तेनुं वजन ओर्छ वधतुं थयु नहि. तेथी जीव जूदो होय तो तोल ओर्छ थात ते थयु नहि. तेथी जीव जदो संभवतो नथी.
केशी महाराजे उत्तर कस्यो जे-चामडानी धमण खाली होय तेने तोलीए ने तेनी मांहि पवन भरीने तोलीए तो तेमां कंइ फेर पडतो नथी, तेम जीब छे तेनुं वजन नथी. कारण जे अरुपी छे माटे घट वध जणाइ नहि.
परदेशी राजाए प्रश्न कर्यु के में एक पुरुषना शरीरमां बधे जीव जोयो ते न जणायो. पछी ककडा करीने जोयो. पछी घणा ज न्हाना ककडा करीने जोयो, पण जीव जणायो नहि. वास्ते जीव जूदो नथी.
केशी महाराजे उत्तर कयों जे–कोइ पुरुषो वनमां गया. त्यां रसोइ करवाने अग्नि जोइए छीए, ते सारु काष्टना घणा ककडा करीने जोया, पण अग्नि दीठो नाह; त्यारे विलखा थइने बेठा छे. एटलामा तेमांथी एक बुद्धिवंत पुरुष हतो ते बोली उठ्यो जे तमे नाहि धोइ देवनी पूजा करो एटले हुं अग्नि उत्पन्न करी रसोइ तैयार करुं . पछी ते पुरुषे वनमा जइ अरणी, काष्ट लीधुं, तेना बे ककडा करी एक बीजा साथे घस्या के तुरत अग्नि प्रगट थयो ने रसोइ करीने जम्या. तेम शरीरना ककडा करवाथी
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