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रीत करणीओ करी छे. जेम के जीवहिंसा करवी, जूलु बोलवू;, पारकी वस्तु ग्रहण करवानो डर ज जेने नथी, कामभोगमां अति आसक्तिप" बनी रह्यं छे, तेना प्रभावे परस्त्री या पोतानी स्त्रीनो पण विचार नथी, वली तेथी अति कामांध थाय छे. पोतानी बहेन छोकरीनो पण विचार करता नथी, जे स्त्रीना उपर नजर पडी तेनी साथे भोगनी इच्छा करी रह्या छे. बली बधी स्त्रीयोनो योग तो बनतो नथी, पण मनथी इच्छाओ करीने कर्म बांधे छे. वली केटलीएकनो योग बने छे तेमां पण अतिशय लुब्धपणे काम सेवे छे. नाहि सेवा योग्य स्थानके चुंबन प्रमुख करे छे. वली पारकाने छेतरवा, विश्वासघात करवो, जेथी परने दुःख थाय एवौं कृत्य करवामां तत्पर, शुद्ध देव गुरु धर्मनी हेलना निंदा, खोटा माणसनी प्रशंसा, बुरां काम करवाने तत्पर, अहंकारी, कषायवान, अति क्रोधी, मही प्रारंभ करी रहेला एवां दुराचरण सेववाथी अशातावेदनीकर्म बांधे छे. हवे तेमां पण एक बीजानी प्रकृतिमा फेरफार रहे छे. बुरुं काम बे माणस स. रखं करे छे.' जेम के एक माणसने मारी नांखवो; तेमां एक तो फक्त प्राण ज ले छे ने एक तेना प्राण लइने पण पाछा तेना शरीरना ककडा करी नांखे छे तेने पाछा तेलमा तली नांखे छे, एवीरीते वधारे माठी प्रकृतिथीं थाय छे. तेना कर्म बांधवामां पण फेर पडे छे. माटे जे आकरी प्रकृतिथी माठां कृत्य करे छे तेने श्राकरं अशातावेदनीकर्म बंधाय छे ने तेथी मंद प्रकृतिए जो बुरुं काम करे छे तो मंद वेदनीकर्म बंधाय छे. तेम भोगवं. ती वखत आकरा वेदनीकर्म कोइ भोगवे छे, कोइ मंद भोगवे छे. एक. मनो नाश भोगव्याथी थाय छे पण भोगवती वखते अज्ञानी. जीवो दुःख भोगवतां केटलाएक तो भगवानने कहे छे जे हे भगवान् ! में हारुं शं बगाडयु हतुं के आबु दुःख मने दे छे ? वली कोइ कहे छे के अरे! आ दःख माराथी वेठातुं नथी, क्यारे मटशे ? वली डाक्टरोना उपर द्वेष करे छे. वली घरना माणस उपर गुस्से थाय छे. रोगना चितवनना माठां ध्यान थाय छे. एवा अनेक प्रकारना जीव गेरव्याजबी विकल्पो करे.
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