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(२३) २९ प्रश्नः-नैवेद्य-रांधेलु धरवु कया शास्त्रमा कयुं छे ?
उत्तरः-श्राइविधिमां का छे. वली श्राद्धविधिमां निशिश्थचूर्णी प्र. मुखना दाखला प्राण्या छे. आचारोपदेश, अष्टप्रकारी पूजान रास तथा सकलचंद उपाध्याय प्रमुख विरचित पूजाओमां पण कां छे. ते शास्त्रो जोवाथी विस्तार सहित भालम पडशे. सामान्य प्रकारे नैवेद्य चडाववानुं तो महानिशिथ्थ, पंचाशकजी, प्रवचनसारोद्धार, योगशास्त्र विगेरे घणा शास्त्रोमां का छे. __ ३० प्रश्नः-दीपकपूजा कया शास्त्रमा कही छे ?
उत्तरः-महानिशिथ्थ सूत्रमा अष्टप्रकारी पूजानो अधिकार चाल्यो छे त्यां कही छे. प्रभुना जन्म वखत दिग्कुमारीकाओए दीपक कस्या छ, विगेरे वर्णन जंबूद्वीपपन्नत्तिमा छे. आवश्यकसूत्रमा पण कर्तुं छे..
३१ प्रश्नः-गुरुभक्ति शी रीते करवी ? उत्तरः-गुरुने देखतां बे हाथ जोडी नमस्कार करवो. गुरु कंइ काममां न होय तो खमासमण देइ वांदवा. इच्छकार पूठी अभुठियो अभ्यंतरथी खमाववा. गुरु उभा होय तो उभा रहेवू. गुरुना वचननी अवगणना करवी नहीं. वस्त्र, पात्र, औषध, पाट, पाटला, रहेवाने मकान विगेरे जे कांइ जोइए ते हाजर करवू. आपणी पासे न होय तो जेनी पासे होय तेनी पासे गुरुने तेडी जइ अपाव. कोइ प्रकारे तेमनुं वचन लोपवू नहीं. गुरु महा उपकारी छे. ए उपकारीना उपकारनो बदलो कोइ दिवस वलवानो नथी माटे यथाशक्ति गुरुभक्ति करवी. तन, मन अने धन अर्पण करवं. कदापि गुरु महाराजना काममा सर्व दोलत वपराइ जाय तो पण वापरवामां जराए अंदेसो लाववो नहीं. आवा भाव जेने थइ जाय छे तेने अवश्य-निश्चय समकित होय छे. तेमां जेटली कसर होय तेटली समकितमां पण कसर जाणघी. माटे देव गुरुंनी भक्तिमा कोइ पण रीतें कसर राखवी नहीं.. गुरु महाराज एक कोडि पण पोते लेता नथी. कोइक बखत अकस्मात् धर्मसंबंधी
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