________________
( १८१ ) तो श्रावक आपे,पण वेची खाय एवा शिष्य होय तो श्रावक तेने पण पुस्तक आपे नहीं. श्रावी रीति साधजीए राखी जोइए. प्रश्नः-११२ देवताने देवी साथे कामभोग केवी रीते होय ?
उत्तरः-भवनपति व्यंतर ज्योतिषि तथा सुधर्मदेवलोक तथा इशान देवलोक सुधीना देवताने तो मनुष्यनी पेठे भोग छे, ने सनत्कुमार माहेंद्र देवलोकवालाने मात्र स्पर्श करवानो छे. तथा ब्रह्मदेवलोक तथा लांतक देवलोकवालाने रूप जुए एटलोज काम छे. शुक्र तथा सहस्रारदेवलो. कना देवताने शब्द सांभलवानो विषय छे. आनत, प्राणत, आरण, अच्युत ए चार देवलोकवालाने एक बीजानु मन मलवानो विषय छे. बीजा देवलोक उपर स्त्री नथी तेथी त्यांथी पोतानं मन करे तेम स्त्री पण मन करे एटले संतोष थाय छे, कारण जे जेम जेम बीजा लोकथी उपर चडता जाय, तेम तेम विषय कामना ओछी थाय छे. ने बारमा देव. लोक पछी नव ग्रैवेयक तथा पांच अनुत्तर विमानना देवताने तो समूलगी कामनी इच्छा ज नथी. श्रा अधिकार पन्नबणा सूत्रनी छापेली प्रतमा पाने ७७८ मे छे. प्रश्नः-११३ देवता मनुष्य साथे भोग करे ? तथा मूल शरीरे श्रावे ?
उत्तरः-पन्नवणाजीमां छापेली प्रतमां पाने ६२५ मे तेजस शरीरनी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भागनी कही छे. तेनुं कारण ए जाणQ जे, पूर्वभव संबंधी मनुष्यनी स्त्री उपर गाढ अनुराग होय तो देवता देवलोकथी आवीने ते स्त्री साथे भोग करे, ने भोग करतां काल क. रीने तेज स्त्रीने पेटे तरत उत्पन्न थाय. आ रीतनो अधिकार छे. तेथी समजाय छे के मूल शरीरे आवे तो तेजस शरीरनी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भागनी होय ने भोगनी वात पण एमांज छे.
प्रश्नः-११४ चंद्रमा पूनम पछी थोडो ढंकातो जाय छे, ने शुद १ थी उघाडो थतो जणाय छे तेनुं शुं कारण ?
उत्तरः-जीवाभिगम सूत्रमा छापेली प्रतमां पाने ७८५ मे ए अधिकार
Scanned by CamScanner