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लवानी बुद्धि थाय. परभाव रमण दूर थाय. पोताना आत्मानो गुण प्रगट करवानो उद्यम थाय. जेवी जेवी विशुध्धि थाय तेवो तेवो उद्यम करे, अतिशय विशुध्धिवाला डुंगरमां गुफाओ छे त्यां एकांते बेसी पोताना आ. स्मानी जडनी वहेंचण करे. भेदज्ञान करे. धर्मध्यान शुक्लध्यानादिक ध्याय, ने म्होटो लाभ उपार्जे. बीजं पण बुध्धि शुध्ध थवानुं कारण छे जे उत्तम पुरुषना शरीरमा जे पद्गल मल्या छे ते घणा उत्तम मल्या छे. जे. मके क्षपकश्रेणि मांडवी होय तो वज्र ऋषभनाराच संघयण जोइए. ए सं. घयण विना उत्तम ध्यान करी शके नहि. त्यारे पुद्गलनी पण सहाय्यता जोइए छे. तथा उत्तम पुरुष जेनी मुक्ति थवानी छे, एवा पुरुषना शरीरमां जे ध्यानमां वृध्धि थाय, एवा पुद्गल मल्या छे ते पुरुष तीर्थ स्नानमां निर्वाण पाम्या छे तेथी त्यां ते पुदगल विखरया छे तेथी त्यां सारा पुद्गलनो भाग घणो छे. त्यार पछी वली घणो काल थइ गयो छे, तो प. ण बधा पुद्गल कंइ जता रहेता नथी. तेथी तीर्य स्थान उपर भाग्यशाली जीवने सार पुद्गलनो स्पर्श थाय छे, तो तेनी बुधि शुध्ध थाय छे ते मां जे पुरुषने वधारे सारा पुद्गलनो स्पर्श थाय छे, तो वधारे बुध्धि श, थाय छे. कोइक भाग्यहीनने सारानी स्पर्शनां ज नथी थती, ने नबला स्पर्श छे तो तेना कर्मनी गति छे; पण मुख्यपणु सारा पुद्गलनु छे. तेथी अनुक्रमे वधारे लाभ थवान कारण ज यात्रा छे. पोताना गाममां जिनबींब होय पण आ कारणो बधां नहि मले, माटे शास्त्रकारे यात्राजवानो लाभ दर्शाव्यो छे, माटे यात्रा जइ आवां साधनो करवां तेथी म्हो. टो लाभं थाय. ६८ प्रश्नः-समायिक, पौषध, पडिक्कमणामां आभूषण राखे के नहि ? : उत्तरः-पंचाशकजीमां समायिक व्रतनो अधिकार पाने १८ मे छे. त्यां आभूषण उतारवां कह्यां तेम पौषधनो अधिकार पाने १९-२० मे छे त्यां पण आभूषण उतारवां कह्यां छे. वली भगवतीजीमां छापेल प्रतमां पाना ९७७ मे शंखजीनो अधिकार छे, त्यां पण आभूषण उतारी पौषध लीधा
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