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॥ ॐ नमो नारणस्स ॥
॥ ॐ नमो दंसणस्स ।।
।। ॐ नमो चारितस्स ॥
॥ ॐ ह्रीं त्रेलोक्य वशंकरी ॥ ।। ह्रीं स्वाहा ।। २० ।।
कार्य
सकली करण करके इस मन्त्र को साध्य करने बाद जलादि मन्त्रित करके पीलाने से प्रयोजन सिद्ध होता है । लेकिन के हेतु यह मन्त्र काम में न लिया जाय समकितवन्त प्राणी को कार्य की तरफ ही दृष्टि रखना चाहिए ।
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|| वशीकरण मन्त्र (३) ।।
॥ ॐ ह्रीं नमो लोए सव्व साहूणं ।। २१ ।।
इस मन्त्र को सिद्ध कर उत्तर क्रिया में ए ह्रीं के साथ जाप्य करके वस्त्रे ग्रन्थी देता जाय और ।। १०८ ।। बार ग्रन्थी को शिला - पर फटकारता जाय तो कार्य सिद्ध होता है । वस्त्र नया और शुद्ध होना चाहिये ।
|| बन्दीगृह मुक्त मन्त्र ॥
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|| हुसाव्वस एलोमोर ॥
|| गंयाज्भावउ मोरण |
|| गंयारियआ मोरण || ॥ द्धासि मौर ॥
॥ संतारित्र मोरण || २२ ॥