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( १३ ) ॐ नमो पायरियाणं रम्ल्यूं नमः ॐ नमो उवझायाणं हम्ल्य्यू नमः ॐ नमो लोएसव्वसाहूणं नव्य्यू नमः
अमुकस्य बंदिनो मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा ।।३२॥ इस मन्त्र को साधन करते समय पट्ट पर यह मन्त्र अष्टगन्ध से लिखना, पट्ट सोने का हो, चांदी का, या तांबे का जैसी शक्ति हो लेवे । मन्त्र वाले पट्ट को बाजोट (पाटिया) पर स्थापित करे । आलम्बन में श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा अथवा मनमोहक चित्र स्थापित कर सामने बैठे चित्र निजकी नासिका के सामने याने ऐसा मध्य में स्थापित करे कि जो ठीक मध्य ही में आवे, पैठ कर धूप दीप आदि सामग्री जयणा सहितं काम में लेवे तत्पश्चात् पांच सौ पुष्प.सफेद जाई के लेकर एक पुष्प हाथ में लेता जाय और मन्त्र बोलता जाय, और मन्त्र पूर्ण होते ही पुष्प को उर्ध्वस्थिति में मन्त्र के उपर चढाता जाय तो बन्दीवान का तत्काल छुटकारा होता है।
बन्दीवान के लिये दूसरा कोई जाप करे तो भी यह मन्त्र काम देता है। बहुत चमत्कारी है ।
॥ स्वप्ने शुभाशुभं कथितं मन्त्र ।। ___ मन्त्र नम्बर ३२ जो उपर बता चुके हैं । इसको खड़े खड़े कायोत्सर्ग में स्थित रह कर ध्यान करे और फिर किसी से बोले बिना मौनपने भूमि शैय्या पर पूर्व दिशा की तरफ मस्तक रख कर सो जावे तो स्वपन में शुभाशुभ फल का भास होता हैं।
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