________________
( १ ) इस मन्त्र को साध्य करने के लिये देवस्थान या अन्यत्र और भूमि हो वहां बैठना चाहिये, और सिद्ध करने के बाद यह सर्व कार्य में सिद्धिदायक होता है । कठिन कार्य के समय विधि सहित जाप करने से कष्ट मिटता है, और सात बार मन्त्र बोल कर वस्त्र के गांठ लगाता जाय तो तत्काल चमत्कार बताता है। व्याघ्रादि हिन्सक प्राणी का या अन्य प्रकार का भय उपस्थित हुवा हो तो नष्ट हो जाता है ।
॥ वैरनाशाय मन्त्र ॥ ॥ पंहुसाव्वस एलो मोण ॥ । ॥ णंयाज्झावउ मोरण ॥ ॥ यारिया मोरण ॥ ॥ पंडासि मोरण ॥
॥ एताहरिप्र मोरण ॥२६॥ इस विपर्यास मन्त्र का कथन पहले कर चुके । लेकिन विधान दूसरा होने से फिर उल्लेख किया जाता है । इस मन्त्र का सवा लक्ष जाप्य विधी सहित करने बाद चतुर्थी अथवा चतुर्दशी के दिन साधना करे, और सिद्धि क्रिया के बाद परमेष्टि नमस्कार करके धूल की चिहूंटी भर कर प्रक्षेप करने से वैरभाव-शत्रुता मिट जाती है, और परस्पर प्रेमभाव बढता है।
॥मन चिन्तित फलदाता मन्त्र ।। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रह्रौं ह्रःप्र. सि.पा. उ. सा. नमः ॥२७॥ - इस मन्त्र की एक माला प्रतिदिन फेरना चाहिये जो इसका आराधन करेंगे उनको मन चिंतित फल की प्राप्ति होगी, लेकिन सिद्धि अवश्य कर लेना चाहिये । बिना सिद्धि किये मन्त्र फल नहीं देते।
Scanned by CamScanner